Uttar Pradesh News: यूपी के आजमगढ़ में मंडलीय जिला अस्पताल (Azamgarh District Hospital) स्थित मोर्चरी हाउस में पांच दिन पहले पोस्टमार्टम से इन्कार करते हुए जबरदस्ती शव लेने के लिए कुछ लोगों ने दरवाजा तोड़ दिया, लेकिन उसकी जगह पर दूसरा दरवाजा अभी तक नहीं लगाने से शवों की सुरक्षा मुश्किल हो गई है. इसका कारण है कि वहां किसी चौकीदार की तैनाती नहीं की गई है. ऐसे में कुत्ते शवों को क्षति पहुंचा सकते हैं. इससे वारिस और लावारिस शवों की पहचान करने में तीमारदारों को पसीना बहाना पड़ रहा है. स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के अधिकारी इसे लेकर अंजान बने हुए हैं.
बता दें कि, मंडलीय जिला अस्पताल में लभगग पांच वर्ष पहले शासन के निर्देश पर 52 लाख रुपया खर्च करके आधुनिक मोर्चरी हाउस बनाया गया था ताकि शवों का बेहतर रख-रखाव किया जा सके. स्वास्थ्य विभाग के दावे तो सिर्फ कागजों में चल रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है. इस मोर्चरी हाउस की देखरेख के लिए न तो सफाई कर्मी हैं और न ही चौकीदार हैं. शवों को रखने के लिए दो मोर्चरी बनाएं गए थे जिसमें एक सीएमओ की देखरेख में तो वहीं दूसरा अस्पातल की मोर्चरी जिसकी देखरेख की जिम्मेदारी सीएमएस की है.
शव क्षत-विक्षत कर रहे जानवर
किसी भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी की मोर्चरी की खराब व्यवस्था पर नजर नहीं पड़ रही है. कुछ दिन पहले शहर में हुए सड़क हादसे में एक युवक की मौत हो गई तो सुबह मोर्चरी हाउस पर पहुंचे उसके तीमारदारों ने पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया. उन्होंने शव को ले जाने के लिए जबरदस्ती अस्पताल के मोर्चरी का दरवाजा तोड़ दिया. अन्य शवों के तीमारदारों के समझाने-बुझाने पर मामला शांत हुआ लेकिन आज तक टूटे मोर्चरी हाउस का दरवाजा नहीं बन सका है. इस वजह से उसमें रखे शवों को जानवर घुसकर क्षत-विक्षत कर रहे हैं.
सीएमओ ने इसपर क्या कहा
इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी का कहना है कि, अस्पताल के मोर्चरी हाउस का दरवाजा टूटा है जिसके लिए हमने सीएमएस से कह दिया था. वह मोर्चरी अस्पताल की है, जिसकी देख-रेख की जिम्मेदारी सीएमएस की है. अगर इसके बावजूद दरवाजा नहीं बना तो उसे बनावा दिया जाएगा.
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