आजमगढ़: भले ही राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर तमाम दावे करती है लेकिन आजमगढ़ में कुछ और ही तस्वीर नजर आती है. यहां के जिला अस्पताल में कई वार्ड जर्जर हैं और जो ठीक भी हैं, वहां पर आवारा पशु बेलगाम घूमते रहते हैं. यूपी में सरकारी भवनों के जर्जर होने के चलते कई सवाल खड़े हो चुके हैं और हाल ही में गाजियाबाद में जिस प्रकार से छत जानलेवा साबित हुई वह लापरवाही की ऐसी दास्तां बनी कि जिस को शब्दों में समेटना मुश्किल है.


वार्डों की जर्जर स्थिति बन सकती है जानलेवा


आजमगढ़ की जहां पर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर यूं तो पहले भी कई बार प्रश्न उठ चुके हैं, लेकिन यहां के जिला चिकित्सालय जिसको मंडलीय अस्पताल का दर्जा प्राप्त है. वहां के वार्डों की जर्जर स्थिति कभी भी भर्ती मरीजों और उनके परिजनों के लिए जानलेवा बन सकती है. वार्ड की छत सीलन के चलते खराब हो चुकी हैं और आए दिन टपकते रहते हैं. उसी में बिजली की वायरिंग हुई है जिसके चलते हमेशा करंट का खतरा बना रहता है. भर्ती मरीज और उनके परिजन इस हालात को देखकर हमेशा सशंकित रहते हैं. एक-दो स्थानों पर तो पहले भी छत से प्लास्टर टूट कर गिर भी चुका है.



कागजी कार्यवाही में लग रहा है वक्त


वहीं, करंट का झटका भी लग चुका है. पहले भी कई बार इसकी शिकायत की गई लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. अब प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने दावा किया है कि उन्होंने आर्थो सर्जिकल वार्ड जिसकी छत जर्जर हो चुकी है, उसको लेकर इंजीनियर व ठेकेदारों से बात की है और इसके लिए शासन को भी पत्र लिखा है. खास बात है कि प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक भले ही यह छत को ठीक करवाने का दावा कर रहे हो लेकिन कागजी कोरम को पूरा करने में जितना समय लगता है तब तक मरीज व परिजन भगवान से ही प्रार्थना कर सकते हैं.


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