(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP News: यूपी में अनोखी शादी! 70 साल की उम्र में बने दूल्हा, चर्चा में लाल बिहारी 'मृतक' का पुनर्विवाह
Azamgarh News: 40 वर्षों तक खुद को जीवित साबित करने की जंग लड़ने वाले लाल बिहारी 'मृतक' एक बार फिर सुर्खियों में हैं. 'कागज' लाल बिहारी मृतक की असल जिंदगी और सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है.
Unique Marriage in Azamgarh: आजमगढ़ के मुबारकपुर थाना अंतर्गत अमिलो गांव निवासी लाल बिहारी 'मृतक' एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं. उन्होंने पत्नी करमी देवी के साथ 70 साल की उम्र में शादी रचाई है. विवाह समारोह का आयोजन धूमधाम से संपन्न हुआ. बता दें कि प्रमाण पत्र देने के बाद लाल बिहारी को 2017 में जीवित घोषित किया गया. 1976 में सरकारी कागजात में लाल बिहारी को मृतक मान लिया गया था. न्यायालय, तहसीलदार, तहसील, सदर जिला आजमगढ़ ने भी मुहर लगा दी थी. खुद को जीवित साबित करने की उन्होंने 40 वर्षों तक लंबी लड़ाई लड़ी. कानूनी लड़ाई के दौरान उन्होंने मृतक टाइटल लगाकर संघ भी बना लिया. मृतक संघ बनाकर उन्होंने अनोखे अंदाज में प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
मृतक संघ के अध्यक्ष ने की पत्नी संग शादी
संघर्ष के आगे प्रशासन को झुकना पड़ा. खलीलाबाद लेखपाल की आख्या पर मुख्य राजस्व अधिकारी और जिलाधिकारी ने 1994 में मुर्दा लाल बिहारी को फिर से जिंदा कर दिया. मृतक लाल बिहारी की मुश्किलें फिर भी कम नहीं हुईं. चचेरे भाइयों ने खूनी संघर्ष के फर्जी मुकदमे में फंसाने की साजिश रची. बावजूद इसके लाल बिहारी ने अपने जिंदा होने की लड़ाई जारी रखी.
उप जिलाधिकारी निजामाबाद ने 16 जनवरी 2017 को लगभग 40 वर्षों बाद धारा 38(1) उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के अंतर्गत लाल बिहारी का नाम सह खातेदार दर्ज किया. इसके बाद लाल बिहारी अभिलेखों में मुर्दा से जिंदा साबित हुए धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, अन्याय के खिलाफ निरंतर संघर्ष करते आ रहे हैं.
70 की उम्र में दूल्हा बनने का बताया उद्देश्य
लाल बिहारी मृतक की पत्नी करमी देवी ने कहा कि खुद को जीवित साबित करने के लिए पति ने 40 वर्षों तक संघर्ष किया. 40 वर्षों से मुर्दा घोषित किए जा चुके पति को 2017 में जीवित होने का प्रमाण पत्र मिला. उन्होंने सरकार से परिवार को 50 करोड़ मुआवजा दिए जाने की मांग की है. पति और पत्नी ने धूमधाम से शादी की रस्मों को अंजाम दिया. मृतक संघ के अध्यक्ष लाल बिहारी ने बताया कि विवाह के जरिए समाज को संदेश देना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार का बोलबाला है. खुद को जिंदा साबित करने के लिए 40 साल लग गए. लड़ाई लड़ने में अक्षम शख्स जिंदा होते हुए भी अपने आप को जीवित साबित नहीं कर सकता. लाल बिहारी मृतक की असल जिंदगी और सच्ची घटना पर आधारित फिल्म बनाई गई है. 'कागज' में सरकारी भ्रष्टाचार को खूबसूरती के साथ पर्दे पर प्रस्तुत किया गया है.