Azamgarh: शहीद BSF जवान का शव पहुंचा घर तो एक झलक पाने को उमड़ पड़ा जनसैलाब, दोस्तों ने कही ये बात
आजमगढ़ जनपद के BSF जवान के शहीद होने की सूचना मिलते ही पूरे क्षेत्र में कोहराम मच गया. वहीं शहीद का पार्थिव शरीर जब क्षेत्र में पहुंचा तो अंतिम विदाई देने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी.
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Azamgarh BSF Jawan Martyr: आजमगढ़ जनपद में जैसे ही शहीद बीएसएफ जवान का शव उनके गांव पहुंचा तो मानों कोहराम मच गया. अंतिम झलक पाने को होड़ लग गई. परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था. चित्कार करते पिता को लोग संभाले थे तो पत्नी समेत घर की महिलाओं को भी संभाला जा रहा था. वहीं युवाओं की भीड़ भारत माता की जय का नारा लगा रही थी. इस सैलाब के बीच बीएसएफ वाहन से पार्थिव शरीर के ताबूत को मशक्कत के साथ जब जवानों ने जैसे भूमि पर रखा तो छोटा भाई अपने को नहीं रोक सका और ताबूत पर ही सिर रख रोने लगा. सैनिकों ने जैसे ही अंतिम सलामी दी, सभी की आखें मानों गर्व से नम हो गईं. छतों से लेकर आस-पास के सभी स्थानों तिल रखने की जगह नहीं थी.
आजमगढ़ जनपद के महराजगंज विकासखंड क्षेत्र व बिलरियागंज थाना अंतर्गत के महुवी शेरपुर गांव के निवासी बीएसएफ जवान के शहीद होने की सूचना मिलते ही पूरा आस-पास का क्षेत्र शोक में डूब गया था. 24 वर्षीय बीएसएफ जवान विवेक तिवारी बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात थे. रविवार आधी रात को घुसपैठियों से बीएसएफ की मुठभेड़ में जवान शहीद हुए थे.
शहीद जवान की 3 वर्ष पूर्व ही हुई थी शादी
विवेक तिवारी पुत्र हरि नारायण तिवारी दो वर्ष पूर्व ही सीमा सुरक्षा बल में नियुक्त हुए थे और बड़ी वीरता पूर्वक अपने ड्यूटी का कार्य निर्वहन कर रहे थे. पहली तैनाती जम्मू कश्मीर में ही थी. वर्तमान में इनकी तैनाती पश्चिम बंगाल प्रांत के बांग्लादेश बॉर्डर पर थी. रविवार की देर रात बॉर्डर पर सर्च ऑपरेशन के दौरान तस्करों से हुई मुठभेड़ के दौरान गोली लगने वे शहीद हो गये थे. यह सूचना जब हेड क्वार्टर से कल सोमवार को उनके पैतृक आवास शेरपुर गांव पहुंची थी तभी से पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया था. शहीद जवान की अभी लगभग तीन वर्ष पूर्व शादी हुई थी और उनके पास एक डेढ़ वर्ष की छोटी बच्ची है. छोटा भाई भी पढ़ाई कर रहा है. शहीद जवान के पिता घर पर ही रहकर कृषि का कार्य करते हैं.
शहादत पर गर्व महसूस कर रहे दोस्त और परिवार
इस दौरान हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे और विवेक तिवारी के देश के लिए शहीद होने पर गर्व महसूस कर रहे थे. विवेक तिवारी के दोस्त विष्णु पांडे ने रो-रो कर बताया कि हम दोनों साथ में थे, मैं उत्तर प्रदेश पुलिस में चला गया लेकिन विवेक तिवारी की मन में शुरू से देशभक्ति का जज्बा था और वह सीमा की सुरक्षा करने के लिए आगे जाना चाहता था. आज यह वीर सपूत हमारे बीच नहीं रहा. वहीं शहीद विवेक त्रिपाठी के पार्थिक शरीर को लेकर उनके घर पहुंचे 159 मालदा वेस्ट बंगाल फ्रंटियर के इंस्पेक्टर महेश कुमार ने बताया कि शहीद विवेक तिवारी चार्ली कंपनी में तैनात थे, रात को इनकी तस्करों के साथ मुठभेड़ हुई जिसमें यह शहीद हो गए. उन्होंने कहा कि इस बात का गम तो है कि 1 जवान हमारे बीच नहीं रहा लेकिन यहां उमड़ा जनसैलाब इस बात का गवाह है कि हजारों जवान देश की सेवा में जाकर सीमा की सुरक्षा करने का जज्बा रखते हैं.
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