Akhilesh Yadav Resign From Lok Sabha: लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर सपा मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने यह संकेत दे दिया है कि अब उनका पूरा ध्यान यूपी की सियासत पर होगा. इस इस्तीफे को साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है. संभावना है कि वह नेता प्रतिपक्ष की भूमिका संभालेगे. अखिलेश को सरकार बनाने का मौका भले न मिला हो, पर वह सदन में बीजेपी (BJP) सरकार को मजबूत विपक्ष की भूमिका का एहसास जरूर कराएंगे.


सपा के सूत्र बताते हैं कि अखिलेश ही नेता प्रतिपक्ष होंगे. ऐसा अगर ऐसा होता है तो 2009 के बाद प्रदेश में वह ऐसे पूर्व मुख्यमंत्री होंगे जो नेता प्रतिपक्ष की भूमिका का निर्वाहन करेंगे. उनसे पहले उनके पिता मुलायम सिंह ने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई थी.


2024 के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा अखिलेश का यह निर्णय


प्रदेश में सपा को बहुमत न मिलने के बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि अखिलेश यादव विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे लेकिन अखिलेश ने अपने फैसले से सबको चौंका दिया. उन्होंने मंगलवार को आजमगढ़ सीट से लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. आने वाले पांच साल तक अखिलेश यादव करहल के अखाड़े से ही उत्तर प्रदेश की सियासत करेंगे. 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि भी करहल से ही तैयार करेंगे.


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वोट शेयर बढ़ने से अखिलेश यादव को आगे है उम्मीद


सपा सत्ता में भले न आयी हो, लेकिन पार्टी का वोट का शेयर बढ़ा है. कोर वोटर भी इनके साथ पूरी ताकत से जुड़ा हुआ है. विधानसभा के नतीजों को देंखें तो 23 लोकसभा सीटों पर सपा को बढ़त मिलती दिखाई दे रही है. पश्चिमी यूपी से पूर्वांचल तक सपा का प्रदर्शन निश्चित तौर से काफी अच्छा रहा है. वोटर सपोटर का साथ बनाएं रखने के लिए सपा उनके लिए संघर्ष करती हुई दिखनी चाहिए. अगर अखिलेश इनके लिए खुद संघर्ष करेंगे तो इनका वोट बैंक छिटकने से बच जाएगा. साथ ही, संगठन भी मजबूत होगा. नई पीढ़ी राजनीति को भी बढ़ावा मिलेगा. सदन से लेकर सड़क तक अपनी मौजूदगी बढ़ाकर 2024 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में काफी आसानी होगी.


उपचुनाव फिर सपा के खाते में आने की अखिलेश को उम्मीद


समाजवादी पार्टी का आजमगढ़ की विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रदर्शन रहा है. ऐसे में अखिलेश को भरोसा है कि उपचुनाव में यह सीट फिर से सपा के खाते में ही जाएगी. साल 2017 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद अखिलेश केंद्र की राजनीति करने लगे थे. इसके बाद ऐसा माना गया कि यूपी में विपक्ष कमजोर पड़ गया है. यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. इसलिए अखिलेश साल 2024 के लिए सियासी जमीन को मजबूत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.


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