UP News: आजमगढ़ में पुलिस शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. ये अपराधी ग्राहक सेवा केंद्रों पर जाकर स्पाई कैमरा से लोगों के अंगूठे की छाप लेकर उसकी बायोमैट्रिक क्लोनिंग कर AEPS के माध्यम से बैंक खातों से लाखों रुपये निकाल लेते थे. वहीं पुलिस ने इनके कब्जे से बने हुए क्लोन फिंगर प्रिन्ट एंव फिंगर प्रिन्ट बनाने के उपकरण बरामद हुए हैं.


पुलिस को मनोज कुमार सोनकर निवासी चालाकपुर थाना रौनापार ने साइबर क्राइम थाना में सूचना दी कि उसके ICICI बैंक खाते से किसी ने आधार कार्ड से फर्जी अंगूठा लगाकर कुल 1 लाख 77 हजार रूपये निकाल लिए हैं. पुलिस की जांच में प्रकाश में आए मोबाइल नंबर से संबंधित जालसाज की जांच की गई.


सूचना मिली कि, वह उकारा गांव में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के आस-पास मौजूद है. पुलिस टीम मौके पर पहुंची थी कि बुलेट बाइक से दो व्यक्ति टीम को देखकर भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन घेरकर दोनों व्यक्तियों को पकड़ लिया गया. एक ने अपना नाम मनोज सरोज पुत्र सवधू सरोज उम्र करीब 29 वर्ष निवास पटवध कौतूक थाना बिलरियागंज बताया, जिसके पास एक फिंगर स्कैनर मशीन और कुल 8 पीले रंग की पॉलीथिन थी, जिसमें कुछ व्यक्तियों के बनाए हुए फिंगर क्लोन, आधार नं. लिखी पर्ची है.


वहीं दूसरे ने अपना नाम उमेश सरोज पुत्र चन्द्रदेव सरोज उम्र करीब 22 वर्ष निवासी पटवध कौतुक थाना बिलरियागंज बताया, मनोज के पास से बरामद विनोद कुमार के आधार कार्ड व पैन कार्ड की जांच की गई तो पाया कि पीड़ित का पैसा विनोद कुमार के आईडी से बनाई गई CSP (निट्स पे वैलेट) में स्थानांतरित हुआ है.


आरोपियों से पूछताछ में हुआ खुलासा


पूछताछ में बताया कि वे लोग फिंगर क्लोनिंग करते हैं और उसकी सहायता से निट्स पे वैलेट के माध्यम से लोगों के खतों से बिना उनकी जानकारी के पैसे धोखाधड़ी करके ट्रांसफर कर लेते हैं. इंटरनेट से बायोमेट्रिक क्लोनिंग करने के बारे में विडियो देखकर साइबर ठगी करते हैं. वहीं


यह स्पाई कैमरा एंव मोबाइल फोन के जरिए ग्राहक सेवा केन्द्रों में जाकर लोगों के रजिस्टर में लगे अंगूठे का फोटो खिंच लेते थे व तहसीलों में जमा स्टाम्प पेपर से उनके अंगूठे का निशान, आधार कार्ड एवं अन्य डिटेल ले लेते हैं, फिर उसी अंगूठे की निशान को बटर पेपर पर स्कैन कर लेते है, उसके बाद बटर पेपर को रबर पर रखकर थंब इम्प्रेशन मशीन के माध्यम से इम्प्रेश करते हैं जिससे उस अंगूठे का निशान रबर या पॉलीमर पर आ जाता है और उस व्यक्ति के अंगूठे का क्लोन फिंगरप्रिंट तैयार हो जाता है.


उसके बाद AEPS बैंकिंग आईडी (निट्स पे) से क्लोन फिंगरप्रिंट के माध्यम से आधार कार्ड से लिंक बैंक खातों से रुपये निकाल लेते हैं. ऐसे ही कई लोगों का फिंगरप्रिंट का क्लोन बनाकर बैंकिंग धोखाधड़ी कर आर्थिक लाभ कमाते हैं. बैंकिंग सॉफ्टवेर से अपनी पहचान छुपाने के लिए कैटरेक्ट लेंस का प्रयोग करते थे, जिससे आंख के रेटिना स्कैन करके ओरोजिनल आधार कार्ड लिंक न हो पाए. बैंकिंग आईडी में हम फर्जी लोगों के आधार कार्ड इस्तेमाल करते हैं. हम यह अपराध जनपद आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर व अन्य जिलो में बुलेट से घूम-घूम कर अंजाम देते हैं. अब तक करीब 12 लाख का धोखाधड़ी कर चुके हैं तथा 50 से अधिक क्लोन भी किए गए हैं.


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