Kashi Vishwanath Temple: धर्मनगरी काशी को मान्यताओं का शहर कहा जाता है और काशी वालों में अपने आराध्य भगवान काशी विश्वनाथ के प्रति एक अटूट आस्था देखी जाती है. काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी भी अनेकों परंपराएं हैं, जो प्राचीन समय से चली आ रही हैं और इसे मनाने के लिए भी काशी वाले बेहद उत्साहित रहते हैं. बसंत पंचमी से ही काशी पुराधिपति भगवान काशी विश्वनाथ के विवाह उत्सव का कार्यक्रम शुरू हो जाता है और पूरे महीने तक विवाह परंपरा निभाई जाती है.
आने वाले 6 मार्च को बाबा काशी विश्वनाथ का हल्दी रस्म निभाया जाएगा लेकिन इस बार बाबा काशी विश्वनाथ को भगवान राम के अयोध्या की हल्दी लगाई जाएगी. 6 मार्च को भगवान काशी विश्वनाथ के हल्दी की रस्म निभाई जाएगी. महंत परिवार की तरफ से एबीपी लाइव को मिली जानकारी के अनुसार बसंत पंचमी से ही भगवान काशी विश्वनाथ के विवाह उत्सव से जुड़े अनेक कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं. बसंत पंचमी के दिन तिलक उत्सव मनाया जाता है और इस बार भी भगवान शंकर के तिलक उत्सव का आयोजन किया गया.
बेहद खास उत्सव
इस बार 6 फरवरी को एकादशी के दिन भगवान काशी विश्वनाथ कों हल्दी लगाने का रस्म निभाई जाएगी लेकिन इस बार भगवान राम के अयोध्या नगरी से आई हुई हल्दी से उनका यह रस्म पूरा किया जाएगा. यह बेहद खास उत्सव है इसलिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होकर भगवान काशी विश्वनाथ का आशीर्वाद लेते हैं. माताएं और बहने मंगल गीत गाकर भगवान काशी विश्वनाथ के हल्दी रस्म को पूर्ण करती हैं. सनातन संस्कृति के तिथि के अनुसार इस बार 20 मार्च को रंगभरी एकादशी निर्धारित है.
काशी की परंपरा की माने तो रंगभरी एकादशी के दिन बाबा काशी विश्वनाथ और मां गौरा का गौना हुआ था और इस बार 20 मार्च को यह परंपरा निभाई जाएगी. इस दिन लाखों की संख्या में लोग बाबा काशी विश्वनाथ और मां गौरा के गौना में शामिल होते हैं. ऐसे में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के बाद इस बार आयोजित हो रहे भगवान काशी विश्वनाथ के इस विवाह उत्सव आयोजन में भगवान राम के भी स्थल से जुड़ी प्रमुख वस्तुएं काशी पहुंच रही है जो इस आयोजन को और भी खास बना रही हैं.