Tritiya Kedar Tungnath: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ (Lord Tungnath) की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ से कैलाश (Kailash) के लिए रवाना हो गयी है. भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर महिलाओं ने मंगल गीतों व भक्तों ने बाबा शंकर के उद्घोषों से अगुवाई की. बाबा की डोली जब पुढखी नामक स्थान पर पहुंची तो भक्तों ने नये अनाज का भोग अर्पित कर विश्व शांति व समृद्धि की कामना की. 


भोग अर्पित करने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली रात्रि प्रवास के लिए भूतनाथ मन्दिर पहुंची जिसके बाद 25 अप्रैल को भूतनाथ मन्दिर से रवाना होकर पाव, चिलियाखोड, पंगेर बनियाकुंड यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी तथा 26 अप्रैल को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ के कपाट वेद ऋचाओं के साथ ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे. 


कैलाश रवाना हुई भगवान तुंगनाथ की डोली


सोमवार को भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ में ब्रह्म बेला पर विद्वान आचार्यों ने पंचांग पूजन के तहत अनेक पूजाए संपन्न कर भगवान तुंगनाथ सहित तैतीस कोटी देवी-देवताओं का आह्वान किया. ठीक 10 बजे भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी गई और इसके बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली ने मर्कटेश्वर तीर्थ की तीन परिक्रमा की और कैलाश के लिए रवाना हो गई.


भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर भक्तों ने पुष्प,अक्षत्रों से अगुवाई की और लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर अपनी मन्नतें मांगी.  भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली ने खेत-खलिहानों में नृत्य करते हुए पुढखी नामक तोक पहुंची, जहां पर ग्रामीणों ने नये अनाज से अनेक व्यंजन बनाकर भगवान तुंगनाथ को नये अनाज का भोग अर्पित कर क्षेत्र की खुशहाली व विश्व कल्याण की कामना की. नये अनाज का भोग अर्पित करने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली रात्रि प्रवास के लिए भूतनाथ मंदिर पहुंची जिसके बाद आज 25 अप्रैल को कैलाश के लिए रवाना होगी. 


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