अयोध्या: अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले पर सीबीआई की विशेष अदालत के निर्णय को अयोध्या बाबरी विध्वंस के गवाह रहे हाजी महबूब और हाजी अखलाख ने हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल कर चुनौती दी है. रिव्यू पिटीशन दाखिल करने वाले पक्षकारों का यह कहना है कि बाबरी विध्वंस के मामले पर आरोप मुक्त किए गए आरोपी वास्तव में दोषी हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. राम मंदिर मामले पर फैसला आने पर उसको सहर्ष स्वीकार किया गया लेकिन बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर कहना है कि आरोपियों ने गुनाह किया है और उनको सजा मिलनी चाहिए.


बता दें कि बाबरी विध्वंस के मामले पर देश के नामचीन लोगों को सीबीआई की विशेष अदालत ने बाइज्जत बरी किया था. उस फैसले को एक बार फिर से चुनौती दी गई है, जिस पर पक्षकार रहे लोगों ने बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे हाजी महबूब पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि रोजी-रोटी को चलाने और इस्लामिक संगठनों से पैसा आने के लिए हाजी महबूब ने रिव्यू पिटीशन दाखिल किया है.


सजा दिलाने के लिए कोर्ट की शरण जरूरी


बाबरी पक्षकार और बाबरी विध्वंस मामले पर गवाह हाजी महबूब ने कहा कि लोअर कोर्ट के जरिए बाबरी विध्वंस के आरोपियों को दोषमुक्त किया गया, जबकि हम यह जान रहे थे कि यह मुलजिम हैं. इसलिए बाबरी विध्वंस के मामले में आरोपी रहे लोगों के खिलाफ मैंने याचिका दायर की है. याचिका को माननीय कोर्ट के जरिए स्वीकृत कर लिया गया है. हाजी महबूब ने कहा कि आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है लेकिन आरोपियों को सजा दिलाए जाने के लिए कोर्ट की शरण लेना जरूरी था. यह लोग मुल्जिम हैं और इन्हें सजा मिलनी चाहिए. इसलिए मैंने इन लोगों के खिलाफ रिट दायर की है.


साथ ही बाबरी विध्वंस के मामले में गवाह रहे हाजी महबूब ने कहा है कि राम मंदिर का मामला अपनी अलग जगह था. उसके फैसले को हम लोगों ने स्वीकार किया है लेकिन बाबरी विध्वंस में यह लोग आरोपी थे और इन लोगों ने बाबरी विध्वंस किया था कोर्ट ने यह माना था कि वहां पर मस्जिद थी. मस्जिद को गिराया गया और वहां पर नमाज होती थी. कोर्ट का फैसला भगवान राम के पक्ष में आया उस पर हम लोगों ने किसी तरीके का कोई ऐतराज नहीं किया. यह मामला अलग है और इसमें दोषियों को सजा मिलनी चाहिए. साथ ही हाजी महबूब का यह कहना है कि बाबरी विध्वंस के आरोपी बाबरी विध्वंस के दोषी हैं.


खारिज होनी चाहिए याचिका


वहीं बाबरी विध्वंस के आरोपी रहे रामविलास दास वेदांती ने कहा कि बाबरी मस्जिद पक्ष के किसी भी वकील ने यह सिद्ध नहीं किया कि वहां पर मस्जिद थी या बाबर अयोध्या आया था. जिन लोगों ने याचिका दायर की है वह गलत है. याचिका खारिज होनी चाहिए. मुझे यह विश्वास है कि माननीय कोर्ट इस याचिका को रद्द कर देगा.


उन्होंने कहा कि पहले भी यह बात सामने आई है कि बाबरी मस्जिद के नाम पर देश के मुसलमानों को गुमराह करके इस मुकदमे को सर्वथा चालू रखना चाहते थे. जफरयाब जिलानी और हाजी महबूब जैसे कई और लोग थे, जिनके पास विदेशों से डॉलर आता था. विदेशों से आतंकी संगठनों के जरिए मुकदमा लड़ने के लिए फंडिंग की जाती थी. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद पैसा आना बंद हो गया. धन की लालच में यह लोग बौखलाए हुए हैं. इस देश के गरीब और भोले-भाले इस्लामिक संगठनों को बदनाम करने का यह काम कर रहे हैं.


उन्होंने कहा कि यह लोग देश का माहौल एक बार फिर खराब कर विदेशी पैसा लाकर समाज के लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं. हम यह चाहते हैं कि सांप्रदायिक भावना और राष्ट्रीय एकता बनी रहे. समाज के सभी लोगों को एक साथ आकर भारत के विकास में सहयोग करना चाहिए. वेदांती बाबरी पक्षकार हाजी महबूब पर भड़कते हुए बोले कि खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे, उनको लग गया है कि अब अयोध्या में आतंकवादियों के रहने की जगह नहीं मिलेगी. अयोध्या में मस्जिद के नाम पर आतंकवादियों को खिलाने और बढ़ाने का ढकोसला समाप्त हो चुका है.


हाजी महबूब पर गंभीर आरोप लगाते हुए डॉ. रामविलास दास वेदांती बोले कि हाजी महबूब आतंकियों से मिले हुए हैं. इस देश के माहौल को खराब करने की इनकी मंशा है. जिसके लिए कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी का हाथ है. मुझे कोर्ट पर विश्वास है और सुप्रीम कोर्ट ने देश की जनता की आंख इस फैसले से खोल दी है.


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