गोरखपुर: पांच माह की मासूम निष्‍ठा को महिला बस परिचालक मां की ड्यूटी की वजह से बस में झटके नहीं खाने पड़ेंगे. अधिकारियों ने नरमी दिखाते हुए उन्‍हें ऑफिस में अटैच कर दिया गया है. उन्‍हें एमएसटी पटल पर बैठा दिया. अग्रिम आदेश आने तक उन्‍हें एमएसटी पटल पर गोरखपुर डिपो में सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक उन्‍हें ड्यूटी करनी होगी. इस आदेश के मिलने के बाद महिला बस परिचालक शिप्रा दीक्षित काफी खुश हैं.


सफर से बच्ची की खराब हुई तबीयत


गोरखपुर के मालवीयनगर की रहने वाली गोरखपुर डिपो में महिला बस परिचालक के पद पर तैनात शिप्रा दीक्षित मातृत्‍व लीव से जब ड्यूटी पर लौटीं. उन्‍होंने पांच माह की बच्‍ची को लेकर बस में सफर करने और टिकट काटने में असमर्थता जताते हुए कार्यालय में अटैच करने के लिए प्रार्थना पत्र लिखा. लेकिन, अधिकरियों ने उनकी बात नहीं मानी. मजबूरीवश उन्‍हें पांच माह की निष्‍ठा को गोद में लेकर बस का हर दिन 165 किलोमीटर का सफर करने को मजबूर ही होना पड़ा. दूसरे दिन ही निष्‍ठा की तबियत खराब हो गई.


हरकत में आए अधिकारी


खबर जब अधिकारियों तक पहुंची तो हरकत में आए और उन्‍हें गोरखपुर डिपो के रेलवे बस स्‍टेशन के एमएसटी पटल पर अग्रिम आदेश तक अनिश्चितकाल के लिए तैनाती दे दी. शिप्रा दीक्षित को पिता की जगह साल 2016 में मृतक आश्रित कोटे से परिचालक की नौकरी मिली. बसों में टिकट काट रही शिप्रा दीक्षित मैटर्निटी लीव खत्म होने के बाद जब अपनी 5 माह की मासूम बेटी निष्ठा के साथ यात्रियों की टिकट काटने के लिए बस में चढ़ी, तो मां को अपनी मासूम बेटी की जिंदगी खतरे में दिखने लगी.


आखिरकार शिप्रा को न्याय मिला


गोरखपुर डिपो की परिचालक शिप्रा ने अपने अधिकारियों से निवेदन किया कि उन्‍हें ऑफिस में ही कोई कार्य दे दिया जाए. जब तक बच्ची थोड़ी बड़ी न हो जाए. लेकिन, अधिकारियों से निवेदन करके जब थक गई, तो उसे मीडिया के माध्यम से न्याय मिला. खबर चलने से परिवहन विभाग के अधिकारी हरकत में आए और आनन-फानन में परिचालक शिप्रा को रेलवे बस स्टेशन में एमएसटी पटल कार्य करने के लिए अनिश्चितकाल के लिए तैनात कर दिया.


एमएसटी पटल पर नियुक्ति मिलने के बाद शनिवार की सुबह 10 बजे शिप्रा दीक्षित मासूम निष्ठा को गोद में लिए रेलवे बस स्टेशन पहुंची और अपनी कुर्सी पर बैठकर सुकून भरी सांस ली. शिप्रा अपनी बेटी निष्ठा के साथ अब बहुत खुश है.


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