रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में हर जगह की अपनी अनोखी विशेषता के साथ ही धर्म से जुड़ी अलग-अलग मान्यताएं हैं. देवभूमि में इन्हीं में से एक स्थान है बधाणीताल जो धार्मिंक मान्यताओं के साथ ही जैव विविधता को भी समेटे हुए है. रंग-बिरंगी मछलियों के लिए मशहूर बधाणीताल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए जिला प्रशासन कार्य योजना बनाने में जुट गया है. इस झील में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं. इस स्थान को टूरिस्ट प्लेस के रूप में विकसित करने के लिए योजना पर कार्य किया जा रहा है.


भगवान शिव और मां पार्वती का हुआ विवाह
रुद्रप्रयाग जिले के जखोली विकासखंड के बांगर पट्टी में बधाणीताल स्थित है. इस ताल का नाम बधाणी गांव के नाम पर ही रखा गया है. ये ताल समुद्र तल से लगभग 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. धार्मिक मान्यता है कि ये भगवान त्रियुगी नारायण का सिद्ध स्थान है. त्रियुगी नारयण तीन शब्दों त्रि यानी तीन, युगी यानी युग और नारायण यानी भगवान विष्णु से मिलकर बना हुआ है. मान्यता है कि भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह रुद्रप्रयाग जिले के ही त्रियुगी नारयण स्थान पर हुआ था.


सुंदर है स्थान
इस विवाह में भगवान विष्णु ने विशेष योगदान देते हुए उनके भाई का दायित्व निभाया था और अपनी नाभि से जलधारा निकालकर वहां एक कुंड का निर्माण किया था. ये कुंड आज एक ताल बन चुका है. इसे ही वर्तमान में बधाणीताल के नाम से जाना जाता है. इस क्षेत्र के इर्द-गिर्द सुरम्य पहाड़ियां, हरी-भरी मखमली बुग्याल, कई प्रजातियों के पुष्प और पक्षियों का कलरव सैलानियों को खूब भाता है.


मछलियों को पकड़ना वंचित है
इस ताल की विशेषता है कि ये जल संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देता है. इस ताल में हिमालय में पाई जाने वाली अनेक प्रकार की मछलियां भी मिलती हैं. इन रंग-बिरंगी मछलियों को न तो कोई पकड़ता है और न ही कोई नुकसान पहुंचता है. यहां पर मछलियों को पकड़ना वंचित है. यहां मछलियों की सेवा भगवान त्रियुगी नारायण की सेवा करना माना जाता है. इन्हें नुकसान पहुचाना मतलब देवता को नुकसान पहुंचाना है.


लगातार बढ़ रही है पयर्टकों की आवाजाही
अब तक पर्यटन की दृष्टि से ओझल रहा बधाणीताल अब धीरे-धीरे लोगों की पसंदीदा जगहों में शामिल हो रहा है. अधिक उंचाई पर होने के कारण बधाणीताल में सर्दियों में जमकर बर्फबारी भी होती है. बधाणीताल में पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोग भी बर्फबारी का जमकर लुप्त उठाते हैं. बधाणीताल सुन्दर प्राकृतिक झील और झील में मिलने वाली रंग-बिरंगी मछलियों के लिए जाना जाता है, लेकिन अब तक प्रचार प्रसार की कमी के कारण ये क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि अदृश्य है. प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ ही सुरक्षित पर्यटक स्थल होने के कारण अब हर साल यहां पर पयर्टकों की आवाजाही लगातार बढ़ रही है.


तैयार की जा रही है कार्य योजना
बधाणीताल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए जिला प्रशासन कार्य योजना तैयार कर रहा है. रुद्रप्रयाग के डीएम मनुज गोयल ने भी बधाणीताल झील का निरीक्षण कर कहा कि यहां पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं. पर्यटन और ग्राम्य विकास विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वो बधाणीताल को विकसित करने के लिए प्लान तैयार करें, ताकि इसे टूरिस्ट प्लेस के रूप में विकसित किया जा सके.


कैसे पहुंचे बधाणीताल
अगर आप दिल्ली या देहरादून से चल रहे हैं तो ऋषिकेश होते हुए आपको रुद्रप्रयाग तक का सफर तय करना होगा. यहां से केदारनाथ मार्ग के एक मुख्य पड़ाव तिलवाड़ा तक पहुंचना होगा. तिलवाड़ा से जखोली ब्लॉक के मुख्य पड़ाव मयाली होते हुए आप बधाणीताल तक का सफर आराम से अपनी गाड़ी से तय कर सकते हैं. ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय पहुंचने के बाद यहां से वाहन के जरिए 60 किमी की दूरी पर बधाणीताल है.


ये भी पढ़ें:



उत्तराखंड में सियासी उठापटक तेज, जेपी नड्डा और अमित शाह की हुई मुलाकात