Badrinath Dham: जोशीमठ आपदा और मास्टर प्लान की वजह से बद्रीनाथ में हो सकती है दिक्कत, यात्रा से पहले पढ़ें जरूरी खबर
Badrinath Yatra 2023: उत्तराखंड में बद्रीनाथ की यात्रा सबसे सुगम मानी जाती है. भगवान बद्रीनाथ का मंदिर सड़क किनारे होने की वजह से यहां अधिकांश श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
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Badrinath Dham Yatra 2023: अगर आप बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) की यात्रा पर जा रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है क्योंकि बद्रीनाथ धाम में इस बार यात्रियों को थोड़ी दिक्कतें हो सकती हैं. वह इसलिए क्योंकि बद्रीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत काम चल रहा है. वहीं जोशीमठ में आपदा की वजह से कई होटल टूट चुके हैं और कई होटलों में प्रभावित परिवार रुके हुए हैं. ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि भारी संख्या में यात्री बद्रीनाथ धाम पहुंचते हैं तो उनके ठहरने की व्यवस्था क्या होगी.
उत्तराखंड में बद्रीनाथ की यात्रा सबसे सुगम मानी जाती है. भगवान बद्रीनाथ का मंदिर सड़क किनारे होने की वजह से यहां अधिकांश श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस बार भी तकरीबन पांच लाख के करीब श्रद्धालु अब तक अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. इसके अलावा स्थानीय लोग भी लगातार दर्शन के लिए पहुंचते हैं. लेकिन इस बार बद्रीनाथ धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं. क्योंकि बद्रीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत बड़े स्तर पर काम चल रहा है.
धाम के आसपास कई धर्मशाला और होटल तोड़ दिए गए हैं. वहीं जोशीमठ में आई आपदा की वजह से कई होटल ठहरने के लायक नहीं हैं और कुछ होटल तोड़ दिए गए हैं. कई होटलों में प्रभावित परिवार रुके हुए हैं. ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है बद्रीनाथ धाम में श्रद्धालुओं का आंकड़ा बढ़ता है. तो उनके रुकने की व्यवस्था कहां की जाएगी. बद्रीनाथ धाम में हर रोज 15 हजार से लेकर 20 हजार के करीब श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इसीलिए बद्रीनाथ से कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी ने इस बात को लेकर सवाल खड़े किए हैं.
बद्रीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत काम चल रहा है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ धाम की तर्ज पर बद्रीनाथ धाम में भी मास्टर प्लान के तहत काम चल रहा है. बद्रीनाथ धाम में जिन होटलों और धर्मशाला में बड़ी संख्या में श्रद्धालु रुकते थे, उन्हें मास्टर प्लान के तहत तोड़ दिया गया है. इसके अलावा बद्रीनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं के रुकने का सबसे बड़ा स्थान जोशीमठ है. यहां बड़ी संख्या में धर्मशालाएं और होटल मौजूद थी, लेकिन आपदा की वजह से यहां कई होटल रहने लायक नहीं है, और कुछ होटल तोड़ दिए गए हैं, जबकि कई होटलों में प्रभावित परिवार रुके हुए हैं. जोशीमठ से बद्रीनाथ की दूरी 45 किमी के करीब है. इसलिए अधिकांश श्रद्धालु जोशीमठ को रहने का स्थान चुनते हैं. हालांकि सरकार का दावा है कि जोशीमठ में आपदा और मास्टर प्लान की वजह से श्रद्धालुओं को बद्रीनाथ धाम में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी.
बहरहाल उत्तराखंड में चार धाम यात्रा की शुरुआत हो चुकी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऋषिकेश से पहले जत्थे को रवाना भी कर दिया है और 27 अप्रैल से भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल जाएंगे. ऐसी स्थिति में अब देखना होगा कि बद्रीनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं को सरकार की ओर से क्या सुविधा मिल पाती है और यदि बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन के लिए पहुंचते हैं तो उनके रुकने की प्रशासन कहां व्यवस्था करता है.
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