Uttarakhand Bypoll 2023: उत्तराखंड में बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव (Bageshwar By-Election 2023) के मद्देनजर जिले में आदर्श चुनाव आचार संहिता लगाई गई है. इसके बाद भी सरकारी संपत्तियों पर बैनर और होर्डिंग्स आदि लगाकर आचार संहिता का दुरुपयोग और उल्लंघन किया जा रहा है. कांग्रेस (Congress) प्रतिनिधि मंडल ने चुनाव आयोग (Election Commission) से बागेश्वर उपचुनाव में सत्ताधारी दल की ओर से सरकारी मशीनरी का खुलकर दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया है.


कांग्रेस का आरोप है कि सत्ताधारी दल के की ओर से चुनाव जीतने के लिए धन, बल और बाहुबल का प्रयोग किया जा रहा है. बागेश्वर में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने मीडिया विभाग के कर्मियों का उत्पीड़न किया जा रहा है. उन्हें बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कवरेज करने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है. पंचायत प्रतिनिधियों पर दबाव डाला जा रहा है और उन्हें सत्ता पक्ष के पक्ष में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. कांग्रेस से संबंधित जनप्रतिनिधियों की बकाया धनराशि को रोका जा रहा है और उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जा रही है.


बैनर और पोस्टर फाड़ने का भी लगाया आरोप


कांग्रेस का कहना है कि विपक्षी दल के प्रत्याशी के पक्ष में लगाए गए बैनर और पोस्टर लगने के आधे घंटे बाद फाड़ दिए जा रहे हैं. स्थानीय प्रशासन और जिला निर्वाचन विभाग मूकदर्शक बना हुआ है. साथ ही निजी वाहनों में भी यदि कोई व्यक्ति गले में विपक्षी दल के चुनाव चिन्ह वाला पट्टा डाले दिखाई पड़ रहा है तो उससे परमिशन लेटर की मांग कर तंग किया जा रहा है. सत्ताधारी दल के दबाव में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसाने का प्रयास किया जा रहा है. इसका प्रमाण कांग्रेस अनुषांगिक संगठन युवा कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष भीम कुमार और भुवन फर्स्वाण को बिना किसी अपराध के धारा 107 और 116 में शांति भंग का नोटिस दिया जाना है. 188 बूथों के ग्राम प्रधानों और जनप्रतिनिधियों को फोन पर डराया और धमकाया जा रहा है.


चुनाव आयोग से की गई कार्रवाई की मांग


ऐसे में कांग्रेस ने इन सभी मामलों को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत के बाद इन मामलों पर कार्रवाई करने को कहा है. कांग्रेस का कहना है कि प्रशासन दबाव में सरकारी मशीनरी जैसे कम कर रही है, उससे साफ तौर पर जाहिर है कि कांग्रेस को हराने के लिए हर प्रकार का प्रयत्न किया जा रहा है जो कि लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. सीधे तौर पर सत्ताधारी दल सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर विपक्षी दल को डरा धमका रहा है. इसको लेकर चुनाव आयोग को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए.


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