Bageshwar Bypoll 2023: बागेश्वर उपचुनाव में दिखेगी बीजेपी और कांग्रेस के बीच जबरदस्त टक्कर, जानें- दिलचस्प आंकडे़ं
Bageshwar Bypoll 2023: 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस के लिए बागेश्वर उपचुनाव बेहद अहम माने जा रहे हैं. दोनों दल इसे जीत आगामी चुनाव को बिगुल फूंकना चाहते हैं.
Bageshwar Bypoll 2023: उत्तराखंड की बागेश्वर सीट पर होने वाले उपचुनाव में आगामी 17 अगस्त तक नॉमिनेसन होना है, 5 सितंबर को वोटिंग और 8 सितंबर को नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे. ऐसे में अब इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक बार फिर से जबरदस्त टक्कर देखने को मिलेगी. बागेश्वर सीट प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे चंदन रामदास के निधन के बाद खाली हुई है. 665 वर्ग किलोमीटर में फैला ये निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीट है. जहां 1 लाख 18 हजार 225 मतदाता हैं.
बागेश्वर सीट से दिवंगत नेता चंदनराम दास लगातार चार बार चुनाव जीते थे. उन्होंने अपना राजनीतिक करियर 43 साल पहले शुरू किया था. हालांकि 1997 में नगर पालिका बागेश्वर से पहला चुनाव जीता था. वो नगर पालिका के निर्दलीय अध्यक्ष बने थे. इससे पहले 2006 में वह भाजपा से जुड़े थे, तब भगत सिंह कोश्यारी बीजेपी सरकार के राज्य के मुख्यमंत्री थे. चंदन नाम दास ने 2007 में उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव जीता. इसके बाद से वो लगातार चार बार बागेश्वर के विधायक रहे.
चार बार विधायक रहे चंदन रामदास
2022 विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्हें प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया गया. साल 2022 में हुए बागेश्वर विधानसभा चुनाव में कुल 43.14 प्रतिशत वोट पड़े, जिसमें चंदन रामदास को 32,211 मत मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी रणजीत दास को 20017 मत प्राप्त हुए थे. चंदन रामदास ने 12141 मतों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी रणजीत दास को हराकर सत्ता पर जीत हासिल की थी.
उपचुनाव में किसका पलड़ा रहा भारी
उत्तराखंड में विधानसभा उपचनावों की तो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहली बार 2002 ने उपचुनाव हुआ था. तब से अब तक 14 बार विधानसभा उपचुनाव हो चुके है, जबकि 15 वें उपचुनाव के रूप में बागेश्वर सीट से उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है. वहीं बात करें उपचुनाव के नतीजों की तो अब तक हुए उपचुनाव में 13 बार सत्ता पक्ष को ही जीत हासिल हुई है, जबकि सिर्फ एक बार ही 2004 में उत्तराखंड क्रांति दल को जीत हासिल हुई है. जबकि कांग्रेस 7 और भाजपा 6 बार उपचुनाव में जीत हासिल कर चुकी है. आंकड़ों के हिसाब से इस बार भाजपा का पलड़ा भारी लग रहा है.
बीजेपी-कांग्रेस में कड़ा मुकाबला
2024 लोकसभा चुनाव से पहले बागेश्वर उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इस चुनाव को जीतकर 2024 लोकसभा चुनाव की जीत का बिगुल फूंकना चाहती है. भाजपा प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद बागेश्वर चुनाव को काफी महत्वपूर्ण मान रहे हैं. बागेश्वर चुनाव के बाद प्रदेश में नगर निकाय चुनाव भी होने हैं. बागेश्वर उपचुनाव को जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी का विश्वास चरम सीमा पर होगा और आने वाले चुनाव में कार्यकर्ताओं का हौसला बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा, जिसके लिए बागेश्वर उपचुनाव जीतना बेहद जरूरी है.
कांग्रेस भी इस प्रयास में है कि किसी तरह से बागेश्वर उपचुनाव जीता जाए ताकि 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भी पूरी तैयारी के साथ उतर सके. वहीं नगर निकाय चुनाव में भी कांग्रेस चाहती है कि किसी तरह से भाजपा की सत्ता को टक्कर दी जा सके, इसके लिए कांग्रेस ने एक बड़ी रणनीति तैयार की है. अब देखना यह होगा कि जनता किसे चुनती है.
UP News: हिजबुल आतंकी फिरदौस को आज कश्मीर ले जाएगी यूपी एटीएस, खुल सकते हैं कई राज