Bageshwar District Hospital: बागेश्वर को जिला बने हुए 25 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी यहां का जिला अस्पताल अपनी खुद की बिल्डिंग के लिए तरस रहा है. इस बीच कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें बदलती रही लेकिन नहीं बदला तो बस इस अस्पताल के हालात. दिलचस्प बात तो ये है कि इस जिले से एक विधायक स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं लेकिन वो इस अस्पताल के लिए एक भवन का निर्माण नहीं करा सके. आज भी इस अस्पताल का काम सीएचसी भवन में चल रहा है. 


बागेश्वर के जिला अस्पताल का बुरा हाल


15 सितंबर 1997 को अल्मोड़ा से जिले से अलग होकर बागेश्वर जिला अस्तित्व में आया तो जिला अस्पताल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन में संचालित किया गया. लोगों को उम्मीद थी कि जल्द ही जिला अस्पताल का अपना परिसर बनेगा, लोगों को इलाज कराने के लिए सुविधा मिलेगी, लेकिन साल दर साल बीतते गए पर आज तक अस्पताल नहीं बन पाया. अस्पताल आज भी ये अस्पताल भीड़भाड़ वाले इलाके में अभावों के बीच सीएचसी के भवन में संचालित हो रहा है.


मरीजों को होती है तमाम दिक्कत


भीड़भाड़ वाले इलाके में अस्पताल होने की वजह से यहां मरीजों के साथ-साथ यहां काम करने वाले चिकित्सक और स्टाफ को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सीएचसी के भवन में डॉक्टरों के लिए पर्याप्त कमरे भी नहीं है. अस्पताल जाने वाली सड़क पर अक्सर जाम रहता है. कई बार इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को भी इस जाम से रुबरू होना पड़ता है. 


ऐसा नही हैं कि बागेश्वर के बारे में कोई जानता नहीं है. यहां बीजेपी और कांग्रेस के कई बड़े नेता चुनाव जीतकर आते रहे हैं. बीजेपी के भगतसिंह कोशियारी 2002 में विधायक चुने गए थे, यहां के राम प्रसाद टम्टा तो मंत्री भी रह चुके हैं. कांडा सीट से विधायक बलवंत सिंह भौर्याल तो खंडूरी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री और फिर निशंक सरकार में स्वास्थ्य मंत्री तक रह चुके हैं. लेकिन किसी ने इस अस्पताल की सुध लेने की कोशिश नहीं की.  


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