Uttarakhand News: बागेश्वर जिले में बीते चार महीने से बारिश नहीं होने का असर खेती-बाड़ी पर दिखने लगा है. असिंचित क्षेत्रों में होने वाली फसल की सिंचाई नहीं होने से वो प्रभावित होने लगी है. बारिश बर्फबारी न होने से तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है. आने वाले 15 दिनों तक अगर यही हालात रहे, तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.


जिले की 43,267 हेक्टेयर खेती की जमीन में 80 फीसदी से अधिक असिंचित है. कृषि विभाग के अनुसार मात्र 4093 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की जाती है. इनमें 1458 हेक्टेयर जमीन पर नहरों पानी पहुंचता है. बाकी 2635 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई के लिए किसान अन्य वैकल्पिक साधनों से पानी जुटाते हैं. 39,174 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई बारिश के पानी पर निर्भर करती है. अक्टूबर के बाद से जिले में बारिश नहीं होने से गेहूं, सरसों, मसूर आदि के पौधे धीमी गति से बढ़ रहे हैं. कई पौधे खत्म होने की कगार पर हैं. बारिश नहीं होने का सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा. आपदा अधिकारी शिखा सुयाल ने बताया कि जिले में पिछले साल के मुकाबले बारिश न के बराबर हुई है. जहां पिछले साल 80 फीसदी बारिश हुई थी, तो इस बार मात्र 10 फीसदी बारिश हुई है. इससे पर्यावरण पर भी काफी असर पड़ रहा है.


बीमा कराने वाले किसान को मिलेगी राहत


वहीं मुख्य कृषि अधिकारी एसएस वर्मा का कहना है कि बारिश नहीं होने से इस साल अनाज का उत्पादन काफी प्रभावित होगा. अगर किसानों ने कृषि बीमा कराया होगा, तो उन्हें इस नुकसान से कुछ हद तक राहत मिल जाएगी. बीमा न कराने वाले किसानों पर अधिक असर पड़ेगा. उन्होंने किसानों से 31 जनवरी तक अनिवार्य रूप से खाते को आधार से लिंक कराने और ई-केवाईसी कराने की भी अपील की है. साथ ही उन्होंने बताया कि बारिश और बर्फबारी नहीं होने का असर फल उत्पादकों पर भी पड़ेगा. जिले के कर्मी, झूनी, खलझूनी समेत पिंडर घाटी के गांवों में सेब का उत्पादन होता है. बिचला दानपुर के शामा, लीती, कर्मी, कौसानी आदि क्षेत्रों में कीवी की खेती की जाती है. इन फसलों को बर्फबारी की जरूरत होती है. बर्फबारी नहीं होने से इन फसलों की पैदावार पर भी असर पड़ सकता है.


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