आग से भभक रहे बागेश्वर के जंगल, वन विभाग के दावों की खुली पोल
फायर सीजन में बागेश्वर रेंज के जंगल आग से भभक रहे हैं। वन विभाग के तमाम दावे फेल नजर आ रहे हैं। आए दिन जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं। वहीं, अस्पताल में आंखों में जलन और सांस की परेशानी वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
बागेश्वर, एबीपी गंगा। बागेश्वर वन प्रभाग के कुल 6 रेन्जो में अबतक कई बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी है। इस वक्त बागेश्वर, बैजनाथ रेंज और धरमघर रेंज के जंगल सुलग रहे है। गर्मी के इस मौसम में गरुड़ ,मनकोट, पोड़ीबैंड, जौलकांडे, मालता, बिलोना, सीसाखानी के जंगल आग से जल रहे है। लाखों-करोड़ों की बेशकीमतीवन संपदा आग की भेंट चढ़ रही है। पिछले कुछ दिनों से जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं। जिससे वातावरण में अजीब सी धुंध छाई हुई है। तापमान में अचानक से बढ़ोतरी हो गई है। वहीं, जंगलों की आग से वन्य जीव- जंतुओं में खतरा मंडराने लगा है।
वन विभाग के दावे खोखले साबित
फायर सीजन के दौरान वनों की आग से निपटने के लिए वन विभाग बड़े-बड़े दावे कर रहा था, लेकिन वन विभाग के ये दावे पूरी तरह खोखले साबित हुए। वहीं, प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि जिले में वन विभाग की 6 रेंज हैं। जिनमें से बागेश्वर, बैजनाथ, धरमघर, कपकोट रेंज के जंगल पूरी तरह से आग की चपेट में हैं। करीब 21 हेक्टेयर वन क्षेत्र के आग की चपेट में आने से भारी नुकसान पहुंचा है। बीती रात बागेश्वर नगर क्षेत्र से लगे जौलकंडे, आरे, फाल्टनियां, मनकोट, पंतक्वेराली आदि के जंगल आग से धधकते रहे। वन विभाग आग पर काबू नहीं पा सका। वहीं, कलक्ट्रेट के पास जंगल की आग तेजी से भड़क उठी और रिहायसी इलाके की तरफ तेजी से बढ़ने लगी । जिससे आसपास के लोगों में भय का माहौल पैदा हो गया। आनन- फानन में प्रशासन हरकत में आया और फायर सर्विस को सूचना दी गई। समय रहते फायर सर्विस के वाहन ने आग पर बमुश्किल काबू पाया। जिससे बड़ा हादसा होने से टला। वहीं, डीएफओ ने बताया कि जिले में जंगलों में आग लगने की करीब 15 घटनाएं सामने आई हैं। बागेश्वर, बैजनाथ रेंज अतिसंवेदनशील हैं। जो आग की चपेट में हैं। वन विभाग आग पर काबू पाने का पूरा प्रयास कर रहा है।
धुएं से लोगों का जीना मुहाल
वहीं, जिला अस्पताल के फिजिशियन ने बताया की रोजाना ओपीडी में सांस दमे के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे मरीजों को विशेष एतिहायत बरतनी चाहिए। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि धूल- धुएं से बचे। धूप में निकलते समय मास्क या फिर कपड़े का इस्तमाल करें और रेगुलर अपनी दवाई लेते रहे। खासकर धुएं की ये समस्या अस्थमा के मरीजों के लिए घातक साबित हो रही है। वहीं, अस्पताल में आंखों में जलन और सांस की परेशानी वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। डॉक्टरों का कहना है कि वायुमंडल में फैली धुंध सांस के मरीजों के लिए खतरनाक है। धुंध के चलते अस्थमा के मरीजों को अटैक पड़ने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। डॉक्टरों ने धुंध से बचने के लिए मास्क और चश्मे का प्रयोग करने की सलाह दी है।
गौरतलब है कि फायर सीजन के शुरुआती चरण में ही वन विभाग के सारे दावों और तैयारियों की पोल खोल कर रख दी है। बागेश्वर मुख्यालय रेंज के चारों तरफ जंगल आग से धधक रहे हैं और वन विभाग गहरी नींद सोता नजर आ रहा है। ऐसे में कैसे महकमा वनों को बचा पाएगा यह एक गंभीर और चिंतनीय सवाल है।