Uttarakhand News: उत्तराखंड में बागेश्वर (Bageshwar) के विश्व प्रसिद्ध ट्रैकिंग रूट पिंडारी ग्लेशियर को राज्य सरकार की ओर से ट्रैक ऑफ द ईयर (Track of the Year) घोषित किए जाने के बाद क्षेत्रवासियों और पर्यटन व्यवसाय (Tourism Business) से जुड़े लोगों की उम्मीदें बढ़ गईं हैं. पर्यटन रोजगार से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि अब क्षेत्र का व्यापक प्रचार-प्रसार होगा और ट्रैकिंग पर आने वाले और रोमांच के शौकीनों की संख्या में इजाफा होगा. साथ ही लोग लंबे समय से बदहाली की मार झेल रहे ट्रैकिंग रूटों के अब बेहतर होने की उम्मीद भी करने लगे हैं.


क्यों कहा जाता है ट्रेल दर्रा
पिंडारी ग्लेशियर की खोज का श्रेय ब्रिटिश शासन में कुमाऊं कमिश्नर सर जार्ज विलियम ट्रेल को जाता है. उन्होंने वर्ष 1830 में सूपी गांव के मलक सिंह के साथ पिंडारी ट्रैक की खोज की थी जिसके चलते ही पिंडारी ग्लेशियर के एक दर्रे को विलयम ट्रेल के नाम पर ट्रेल दर्रा कहा जाता है जो उस वक्त व्यापार के लिए मुख्य दर्रा था. पिंडारी ग्लेशियर के जीरो प्वाइंटर की दूरी बागेश्वर जिला मुख्यालय से 84 किमी है. खाती तक 70 किमी की दूरी वाहन से तय होती है, बाकी दूरी पैदल तय की जाती है.


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कोरोना की वजह से था बंद
पिंडारी ट्रैकिंग रूट की सैर करने के लिए देश-विदेश से हर साल ट्रैकर ‌आते हैं. ट्रैकरों और पर्यटकों की आवाजाही से खाती, वाछम आदि गांवों के 200 से अधिक गाइड, पोर्टर, होम स्टे, हट संचालकों की आजीविका चलती है. कोरोना के कारण पिछले दो वर्षों में ट्रैकिंग रूट सुनसान रही, जिसका असर यहां के लोगों की रोजी-रोटी पर भी पड़ा.




बढ़ेगा रोजगार-गाइड
वहीं लंबे समय से ट्रैकिंग कराते आए गाइड संजय परिहार ने बताया कि, पिंडारी को ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित होने से पिंडारी का नाम आगे बढ़ेगा और क्षेत्र का विकास होगा. स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ने के साथ पिंडारी, कफनी और सुंदरढुंगा ग्लेशियरों को नई पहचान मिलेगी. लोगों तक इनकी पहुंच बढ़ने से आसपास के क्षेत्र भी विकसित होंगे. बागेश्वर जनपद ट्रैकिंग का मुख्य केंद्र भी बनेगा. वहीं सीनियर गाइड भुवन चौबे ने बताया कि ट्रैक ऑफ द ईयर बनने पर रोजगार बढ़ने की संभावना है. स्थानीय गाइड, पोटरो, घोड़े खच्चर वालों के साथ साथ होम स्टे और होटल व्यवसाय से जुड़े लोग भी इससे फायदे में रहेंगे. सबसे पहले जिला प्रशासन को क्षेत्र की बदहाली को दूर भी करना होगा. 




भुवन चौबे ने आगे बताया कि, ट्रैकिंग के शौकीन ट्रेकर पिंडारी, कफनी और सुंदर ढुंगा ग्लेशियर आना तो चाहते हैं लेकिन ट्रैक रूट की बदहाली के कारण लोगों का यहां से मोह भंग हो रहा है. वर्ष 2013 के दौरान आई आपदा के बाद रास्ते और अन्य नुकसान की आज तक भरपाई नहीं होने से काफी दिक्कतें है जिसे जल्द दूर करने की जरूरत है. ग्लेशियर के रूटों पर कई स्थानों पर हुए भूस्खलन के कारण ट्रैक रूट आज भी सही नहीं किए गए हैं जिसे जल्द दुरुस्त किए जाने की सख्त जरूरत है. हालांकि ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित होने के बाद फिर से क्षेत्र के पर्यटन से जुड़े लोगों को नई उड़ान मिलने की उम्मीद बढ़ गई है.


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