Baghpat News: यूपी के बागपत में महाभारत कालीन लाक्षागृह का घट रहा आकार, जानिए क्या है वजह
UP News: यूपी के बागपत में महाभारत काल के समय का लाक्षागृह टीले के रूप में आज भी मौजूद है. लेकिन समय के साथ अब टीले का आकार घट रहा है.
Baghpat News: यूपी के बागपत में महाभारत काल के समय का वह लाक्षागृह टीले के रूप में आज भी मौजूद है. जहां पर कौरवों ने पांडवों को जिंदा जलाने का षड़यंत्र रचा था. जहां पांडव सुरंग के रास्ते सुरक्षित निकल गए थे. 100 फुट ऊंचे और 30 एकड़ भूमि क्षेत्रफल में फैले टीले के रूप में वो अवशेष आज भी मौजूद है, लेकिन समय के साथ अब टीले का आकार घट रहा है, चूंकि टीले के चारों और चारदीवारी नहीं बनाई गई है. जिससे बरसात के दिनों में टीले का कटान होता रहता है.
सुरंग आज भी देती है ये गवाही
महाभारतकाल में बरनावा गांव को वार्णावर्त कहा जाता था. बरनावा गांव में लाक्षागृह कृष्णा और हिंडन नदी के संगम पर स्थित है. दुर्योधन ने पांडवों को जिंदा जलाकर मारने के लिए लाख, मोम आदि ज्वलनशील पदार्थ से एक भवन तैयार कराया था. पांडव इसमें रहने के लिए निकले तो विदुर ने उन्हें दुर्योधन की इस साजिश से समय रहते अवगत करा दिया, जिसके बाद वह लाक्षागृह पर मौजूद एक सुरंग के रास्ते सुरक्षित बाहर निकल गए. लाक्षागृह तो जला, लेकिन पांडव नहीं. महाभारतकाल की यह सुरंग आज भी इस बात की गवाही देती है.
मिट्टी कटान होने के कारण सिकुड़ रहा टीला
बरनावा गांव के धनपाल गुर्जर और समाज सेवी आरआरडी उपाध्याय का कहना है कि मेरठ-बड़ौत मार्ग पर सड़क किनारे स्थित यह बड़ा टीला बरसात के दिनों में मिट्टी कटान होने के कारण सिकुड़ता जा रहा है. इसके चारों ओर दीवार होनी चाहिए ताकि किसी भी कारण से मिट्टी का कटान न हो सके. यदि कटान इसी तरह होता रहा है तो आने वाले समय में यह धरोहर हम खो बैठेंगे. इतिहासकार डॉक्टर केके शर्मा का कहना है कि शासन को प्राचीन टीले को संरक्षित करने के लिए पहल कर इसकी चहारदीवारी करानी चाहिए, ताकि किसी भी तरह इसका नुकसान न हो.
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