(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Baghpat News: जमीनी विवाद में परेशान युवक आत्महत्या करने पहुंचा तहसील, SDM के आश्वासन देकर मनाया
यूपी के बागपत में चकबंदी समस्या से परेशान होकर युवक आत्महत्या करने तहसील पहुंच गया. जिसके बाद एसडीएम ने आश्वासन देकर मना लिया. युवक ने पीएम से इच्छा मृत्यु की मांग की थी.
UP News: यूपी के बागपत के बामनौली गांव के रहने वाले महेश पाल ने चकबंदी समस्या से परेशान होकर शनिवार को आत्महत्या करने के लिए तहसील पहुंच गया. आत्मदाह की चेतावनी उसने पहले ही दे दी थी, इसलिए तहसील में पहले ही बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था. एसडीएम ने पीड़ित को समझाते हुए कहा कि दो दिन का समय जांच और उसके समाधान के लिए चाहिए, जिसके बाद पीड़ित ने एसडीएम के आश्वासन को मान लिया. दरअसल, दोघट थाना क्षेत्र के बामनौली गांव के रहने वाले महेशपाल ने दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री को एक शिकायती पत्र भेजते हुए इच्छा मृत्यु की मांग की थी.
साथ ही यह भी चेतावनी दी थी कि वह 20 अगस्त को बड़ौत तहसील में आत्महत्या करेगा. इसीलिए तहसील में पहले से ही बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था. महेशपाल जैसे ही तहसील परिसर में आया तो पुलिस ने उसे घेर लिया. महेशपाल के साथ सिविल वर्दी में दोघट थाने का एक दरोगा भी था. एसडीएम ने महेशपाल की शिकायत सुनने के बाद उसे दो दिन का समय दिया.
क्या है महेश पाल की समस्या
महेशपाल के मुताबिक साल 1976 में उसके पिता रामपाल को नसबंदी कराने पर सरकार ने पांच बीघा कृषि भूमि का पट्टा दिया गया था. जिस पर कई साल तक परिवार ने खेती की. इसके बाद गांव के ही लोगों ने उस पर कब्जा कर लिया. वर्ष 1983 में परिवार की माली हालत देख ग्राम प्रधान रहे निरंजन सिंह ने परिवार के नाम तीन बीघा भूमि का पट्टा उन्हें दे दिया, लेकिन कुछ दिन बाद उस पर भी कब्जा कर लिया गया. महेश पाल के पट्टे की अधिकतर जमीन को नदी में घोषित करा दिया गया. उसके बेटे की पढ़ाई आर्थिक तंगी के कारण बीच में ही छूट चुकी है. नौ दिन पहले बिजली कनेक्शन तक काट दिया गया है, पत्नी बीमार है और घर में खाने को रोटी तक नहीं है.
एसडीएम ने क्या कहा?
वहीं एसडीएम सुभाष सिंह ने बताया कि उनका यह कहना है कि उनको एक पट्टा दिया गया है. अब वो पट्टा निरस्त हो गया है. वह पट्टा नदी की भूमि का था इस कारण निरस्त हो गया है. उनका यह कहना है कि पट्टे को दोबारा उसके नाम किया जाए. हाईकोर्ट का यह आदेश है कि नदी, तालाब आदि की जमीन पर पट्टा नहीं हो सकता है. पीड़ित और चकबंदी विभाग के अफसरों को दो दिन बाद बुलाया गया है. समाधान कराया जाएगा.