Baghpat News: बागपत जनपद में भीषण गर्मी का कहर जारी है. तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है. ऐसे में फसलों की सिंचाई के लिए पानी की बेहद ही आवश्यकता है, लेकिन टिहरी बांध परियोजना पर 24 सौ मेगावाट विद्युत उत्पादन के कारण बागपत में भी पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है, जिसके कारण नहरों से होने वाली लगभग 66 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि पर खड़ी फसलें सूखनी शुरू हो गई है. सिंचाई कार्य, मेरठ प्रथम मंडल के अधीक्षण अभियंता ने सिंचाई आदि कार्यों के लिए किसान और जनप्रतिनिधियों से पानी बेहद कम खर्च करने की अपील करते हुए सहयोग मांगा है.


सिंचाई कार्य, मेरठ प्रथम मंडल के अधीक्षण अभियंता के अनुसार टिहरी बांध परियोजना से 24 सौ मेगावाट विद्युत उत्पादन होना था, जिसमें से 14 सौ मेगावाट विद्युत उत्पादन का कार्य पूरा हो गया है शेष 1000 मेगावाट विद्युत उत्पादन कार्य को पूरा करने के लिए टिहरी व कोटेश्वर बांध के जलस्तर को न्यूनतम स्तर पर लाने की आवश्यकता थी. इसके लिए टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन इंडिया लिमिटेड (टीएचडीसी) ने टिहरी जलाशय को शटडाउन व जलस्तर का न्यूनतम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमति मांगी थी, जिसके बाद शासन द्वारा टीएचडीसी को अवगत कराते हुए टिहरी जलाशय को दो जून से बंद किए जाने की सहमति जता दी थी.


20 जून तक बनी रहेगी पानी की समस्या
भीमगोड़ा बैराज पर वर्तमान में सिंचाई एवं अन्य कार्य के लिए अलकनंदा नदी का पानी उपलब्ध हो रहा है. इससे मांग के सापेक्ष कम पानी उपलब्ध हो रहा है. पानी की कमी की यह समस्या 20 जून तक बनी रहेगी. सिंचाई विभाग खंड बड़ौत के अधिकारियों के अनुसार सिंचाई कार्य, मेरठ प्रथम मंडल के अधीक्षण अभियंता ने किसानों, जनप्रतिनिधियों आदि से सिंचाई आदि कार्यों के लिए बेहद कम पानी खर्च करने की अपील की है. बागपत को मांग के सापेक्ष पानी की आपूर्ति तो नहीं हो रही है, लेकिन कम पानी अवश्य मिल रहा है, जिससे काम चलाया जा रहा है.


धान की फसल बुआई पर मंडराया संकट
जनपद को फसलों की सिंचाई के लिए लगभग 450 क्यूसेक पानी मिलता है, लेकिन पानी की आपूर्ति नहीं होने से नहरों से होने वाली लगभग 66 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि पर खड़ी फसलें सूखनी शुरू हो गई है. बागपत में एक पूर्वी यमुना नहर के अलावा 22 माइनर और राजवाहे हैं, जिनकी लंबाई लगभग 421 है. पानी न मिलने के कारण नहर, माइनर और राजवाहे सूखे पड़े हैं और फसल सूखनी शुरू हो गई है. धान की फसल की बुआई प्रभावित होना तय है.


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