Bahraich News: बिना दूल्हे की बारात क्या आपने कहीं आते देखी है? अगर नहीं देखी है तो चौंकिये मत. बहराइच में सैय्यद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर हर साल बिना दूल्हे के बारात आती है. लगभग 3 सौ की तादाद में अलग अलग राज्यों से बिना दूल्हे के बाराती पहुंचते हैं. आपको बता दें कि बहराइच में मोहम्मद गजनवी के भांजे सैय्यद सालार मसूद गाजी की दरगाह एक हजार साल पुरानी है. जेठ के महीने में एक महीने तक सैय्यद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर मेले का आयोजन होता है. मेले में सालार मसूद गाजी के अकीदतमंद मजार पर चादरपोशी कर मन्नत मांगते हैं.
दरगाह पर बिना दूल्हे के आती है बारात
मन्नत पूरी होने के बाद सालार मसूद गाजी की मजार पर चढ़ावा चढ़ाया जाता है. दिलचस्प बात है कि चढ़ावा दहेज के तौर पर लाया जाता है. इससे पहले साल भर के चढ़ावे को अकीदतमंद इकट्ठा करते हैं. अकीदतमंदों की बारात में दूल्हा नहीं होता है. बारात लाने की मान्यता दरगाह की खिदमत करनेवाली जोहरा बेगम से जुड़ी है. कहा जाता है कि बाराबंकी के रुदौली की रहने वाली जोहरा बेगम ने पूरी जिंदगी गाजी की दरगाह की खिदमत में बिता दी. बहराइच आने के बाद दोबारा वापस नहीं गईं.
मेले में उमड़ती है अकीदतमंदों की भीड़
लिहाजा जोहरा बेगम के घरवाले दहेज का सामान गाजी की दरगाह पर छोड़ गए. तबसे दरगाह पर बारात लाने का चलन अभी तक कायम है. मेले में गाजी को मानने वाले भारत के अलग अलग प्रदेश से पहुंचते हैं. हर रोज लाखों अकीदतमंद गाजी की दरगाह पर चादर चढ़ाकर मन्नतें मागते हैं. मेले में सुरक्षा की दृष्टि से 15 अस्थाई पुलिस चौकी बनाई गई है. अकीदतमंदों को परेशानियों से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर जवान भी तैनात किए गए हैं. लगभग एक लाख से अधिक जायरीन मेले में आ चुके हैं. मेले में जायरीनों के आने का सिलसिला एक माह तक जारी रहेगा.