बहराइच: भारत-नेपाल की सीमा से सटे बहराइच जिले में बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए करीब 110 किलोमीटर लंबे तटबंधों की निगरानी के लिए सिंचाई विभाग अब ड्रोन कैमरों की मदद ले रहा है. तटबंधों की नियंत्रण कक्ष के जरिए 24 घंटे निगरानी की जा रही है और दिन-रात गश्त भी शुरू कर दी गई है.
बहराइच में तैनात सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता (बाढ़) शोभित कुशवाहा ने रविवार को बताया कि नदियों में बढ़ते-घटते जलस्तर, पानी के बहाव, तटबंधों में रिसाव, टूट-फूट और तटबंधों पर दबाव का पता लगाने के लिए ड्रोन कैमरों की मदद ली जा रही है. साथ ही विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की टीमें दिन-रात गश्त कर रही हैं. नियंत्रण कक्ष से 24 घंटे निगरानी की जा रही है.
कुशवाहा ने बताया कि जिले में शारदा बैराज, गिरजापुरी बैराज और सरयू बैराज हैं. पानी का दबाव बढ़ने पर इनके फाटक खोलने पड़ते हैं, जिससे नदियों में तेज बहाव के साथ लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है. इससे नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है और बाढ़ की नौबत आ जाती है. अगस्त और सितंबर महीनों में जलस्तर घटने पर कटान से भी काफी नुकसान होता है.
अभियंता ने बताया कि साल 1955-56 में 95 किलोमीटर लंबा बेलहा-बेहरौली तटबंध और 1982-83 में 15.5 किलोमीटर लंबा रेवली आदमपुर तटबंध बनाया गया था. बाढ़ और कटान से बचाव के लिए 110.5 किलोमीटर लंबे तटबंधों की काफी अहम भूमिका है. जिलाधिकारी शंभू कुमार ने कहा कि बेलहा-बेहरौली तटबंध, रेवली-आदमपुर तटबंध और जलस्तर पर ड्रोन के प्रयोग से जमीन के साथ-साथ आसमान से भी नजर रखी जा रही है. इससे तटबंधों की सुरक्षा बेहतर हो सकेगी.
गौरतलब है कि, नेपाल में बारिश होने से बहराइच की शारदा, सरयू और घाघरा नदियों में हर वर्ष बाढ़ और कटान की समस्या आती है. इस वर्ष भी जलस्तर तो बढ़ा है, लेकिन स्थितियां अभी नियंत्रण में हैं. एल्गिन पुल पर घाघरा नदी खतरे के निशान से 40 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुकी थी लेकिन अब पानी घट रहा है और नदी खतरे के निशान से सात सेंटीमीटर ऊपर बह रही है.
14 जुलाई को प्रदेश के जल शक्ति और बाढ़ नियंत्रण मंत्री महेंद्र सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि तटबंधों के संवेदनशील स्थानों पर शिविर लगाकर 24 घंटे निगरानी रखी जाए. मंत्री ने संवेदनशील स्थलों के साथ-साथ तटबंधों पर सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन कैमरों से नजर रखने की हिदायत भी दी थी.
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