Bahraich News: देश आज अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ (Independence day 2022) मना रहा है. इसे आजादी के अमृत महोत्सव  (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के रूप में मनाया जा रहा है. यूपी (Uttar Pradesh) के बहराइच (Bahraich) के आजादी के रणबांकुरों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने के लिए नयी रणनीति बनाई थी. महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) द्वारा आवाहन किये गए अंग्रेजों भारत छोड़ो नारे को बुलंद करने के लिए बहराइच के 762 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी और जेल में यातनाएं सही थी.


अन्तिम सांस तक लिया लोहा 
बहराइच जिले की बात करें तो आजादी के लिए इस जनपद का बहुत बड़ा योगदान रहा है. अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए स्वतंत्रता के वीरों ने बहराइच के बौण्डी किले से अपनी सेनाओं के साथ जंगे आजादी की लड़ाई लड़ी. यहां के वीर राजा बलभद्र सिंह और चहलारी नरेश ने अंग्रेजों से अन्तिम सांस तक लोहा लिया. कहा जाता है कि लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह की पत्नी बेगम हजरत महल के पीछे जब अंग्रेज पड़े तो उन्होंने बहराइच के बौण्डी किले को अपना शरणगाह बनाया और वहीं रह कर अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लेने के लिए नई रणनीति बनाई.



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सिर कटने के बाद भी लड़ते रहे
जानकारों का कहना है कि बौण्डी के राजा बलभद्र सिंह ने सिर कटने के बाद 26 मिनट तक अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए. अंग्रेजों ने उनका सर धड़ से अलग कर दिया उसके बावजूद अपने देश के लिए लड़ते रहे. अगर बौंडी किले के महत्व की बात करें तो 1857 की जंग से 1947 तक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने यहीं से जंगे आजादी की तैयारी कर अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने के लिए बहराइच से बाराबंकी तक खदेड़ा लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें धोखे से मारा जिससे वो शहीद हो गए. देश के वीर सपूतों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की बदौलत हमारा भारत आजाद हुआ. बहराइच का जंगे आजादी में बड़ा योगदान रहा. हम आजादी के अमृत महोत्सव को बड़े ही धूमधाम से मना रहे हैं और तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं.



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