प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा में नंद बाबा मंदिर परिसर में कथित रूप से नमाज अदा करने के लिए गिरफ्तार किए गए फैसल खान की जमानत की अर्जी शुक्रवार को मंजूर कर ली. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसल खान की जमानत की अर्जी मंजूर की.


मंदिर परिसर के भीतर पढ़ी नमाज
उल्लेखनीय है कि मंदिर परिसर के भीतर नमाज पढ़ने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास करने के आरोप में फैसल खान के खिलाफ एक नवंबर को मथुरा के बरसाना पुलिस थाना में आईपीसी की धाराओं 153-ए, 295, 505, 419, 420, 467, 468, 471 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.


सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका थी
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि फैसल ने सह आरोपी चांद मोहम्मद के साथ मिलकर पुजारी की अनुमति के बगैर मंदिर के भीतर नमाज अदा की और इसका फोटो सोशल मीडिया पर वायरल किया. यह भी आरोप लगाया गया कि यह कृत्य हिंदू समुदाय की धार्मिक आस्था का अपमान दर्शाने के लिए किया गया और इससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका थी. खान पर ऐसा करने के लिए विदेशों से धन प्राप्त होने का भी आरोप लगाया गया.


मंदिर-मंदिर जाने के लिए यात्रा निकाली
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उनका मुवक्किल एक प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता है जिसने भारत के खुदाई खिदमतगार आंदोलन को पुनर्जीवित किया और वह पिछले 25 वर्षों से सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए काम कर रहा है. इस संबंध में उसने मंदिर-मंदिर जाने के लिए यात्रा निकाली.


सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का इरादा नहीं
वकील ने यह दलील भी दी कि ''खान को मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा भोजन-प्रसाद की पेशकश की गई और पुजारी ने उसे आशीर्वाद भी दिया जोकि तस्वीरों से एकदम साफ है. याचिकाकर्ता का सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का कोई इरादा नहीं था. उसने मंदिर के पवित्र गर्भगृह में प्रवेश नहीं किया, बल्कि मंदिर के बाहर नमाज अदा की और वह भी पुजारी की अनुमति लेकर.''


सोशल मीडिया का उपयोग न करने का निर्देश
अदालत ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खान की जमानत मंजूर कर ली. हालांकि, अदालत ने खान को अभियोजन पक्ष के गवाहों को प्रभावित नहीं करने, सुनवाई के दौरान सहयोग करने और मुकदमा लंबित रहने के दौरान इस तरह की गतिविधियों के फोटो वायरल करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया.



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