UP News: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता एवं सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने मंदिरों में भजन-कीर्तन कराने तथा वाद्य यंत्रों की व्यवस्था करने का अधिकारियों को निर्देश दिया है. जिला सूचना विभाग ने बताया कि बलिया से सांसद मस्त ने निर्देश दिया है कि बलिया नगरपालिका परिषद क्षेत्र के सभी छोटे व बड़े मंदिरों का सर्वेक्षण कराया जाए और वहां पर भजन-कीर्तन कराने एवं वाद्य यंत्रों की व्यवस्था कराई जाए. उन्होंने कहा कि भजन-कीर्तन और वाद्य यंत्रों की व्यवस्था करने में यदि किसी प्रकार की कठिनाई आती है तो सांसद विकास निधि से धन का इस्तेमाल किया जा सकता है.


सांसद ने इस आशय का निर्देश नगरपालिका अधिशासी अधिकारी सत्य प्रकाश सिंह को रविवार को दिया . सांसद ने कहा, ''बलिया आध्यात्मिक नगर है. योगी आदित्यनाथ सरकार भृगु कारिडोर का निर्माण करा रही है. बलिया के प्राचीन मंदिरों में पारंपरिक भजन-कीर्तन और वाद्य यंत्रों की व्यवस्था से आध्यात्मिक संचेतना का जागरण होगा .'' संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) के तहत, प्रत्येक सांसद के पास अपने निर्वाचन क्षेत्र में पांच करोड़ रुपये प्रति वर्ष के कार्यों के लिए जिला कलेक्टर को सुझाव देने का विकल्प होता है. राज्यसभा सदस्य राज्य के एक या एक से अधिक जिलों में काम की सिफारिश कर सकते हैं जहां से वह चुने गए हैं.


लोकसभा और राज्यसभा के मनोनीत सदस्य योजना के तहत अपनी पसंद के कार्य के कार्यान्वयन के लिए देश के किसी एक राज्य से एक या अधिक जिलों का चयन कर सकते हैं. मस्त वर्तमान में चौथी बार लोकसभा सांसद हैं, और पहले बीजेपी के किसान मोर्चा (किसान विंग) के अध्यक्ष थे.


डॉ शिव कुमार मिश्र ने कही ये बात


बलिया के प्राचीन भृगु मंदिर की प्रबंध समिति के अध्यक्ष डॉ शिव कुमार मिश्र ने सांसद के प्रयास की सराहना की है . उन्होंने कहा, ‘‘बलिया का पौराणिक इतिहास है. वर्तमान परिवेश में पारंपरिक मूल्यों का लोप हो रहा है. ऐसे में बलिया के मंदिरों में भजन-कीर्तन और वाद्य यंत्रों की व्यवस्था होने से मंदिरों में संकीर्तन के साथ ही सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजनों को बल मिलेगा.’’ नगरपालिका अधिशासी अधिकारी सत्य प्रकाश सिंह ने सोमवार को बताया कि नगरपालिका कर्मियों की टीम द्वारा शीघ्र ही मंदिरों के सर्वे का कार्य शुरू कर दिया जायेगा.


जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने दी ये जानकारी


जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने बताया कि बलिया को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की दिशा में पहल किया जा रहा है और पांच प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए डीपीआर शासन को प्रेषित किया गया है. इतिहासकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया था कि ऐसी भी मान्यता है कि महर्षि भृगु ने अपने शिष्य दर्दर मुनि के जरिए अयोध्या से सरयू नदी को बलिया लाकर कार्तिक पूर्णिमा के दिवस ही गंगा और सरयू नदी का संगम कराया था. उन्होंने बताया कि इसी तट पर दर्दर मुनि के नेतृत्व में यज्ञ हुआ था, जो एक माह तक चला था. उन्होंने बताया कि इस यज्ञ में 88 हजार ऋषियों का समागम हुआ था और यहीं पर महर्षि भृगु ने ज्योतिष की विख्यात पुस्तक भृगु संहिता की रचना की थी.


उल्लेखनीय है कि गंगा और सरयू के मिलन का साक्षी बलिया में ददरी मेला हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से आरम्भ होता है. लोगों की प्रगाढ़ आस्थाएं इस मेला से जुड़ी है. जन श्रुति के अनुसार भगवान विष्णु को पदाघात के बाद महर्षि भृगु को मिले श्राप से मुक्ति इसी क्षेत्र में ही मिली थी . महर्षि भृगु ने अपने शिष्य दर्दर मुनि के जरिए अयोध्या से सरयू नदी को बलिया लाकर कार्तिक पूर्णिमा के दिवस ही गंगा और सरयू नदी का संगम कराया था . ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान मात्र से ही काशी में साठ हजार वर्ष तक तपस्या करने के बराबर पुण्य मिलता है .