बलियाः बलिया में एक युवा समाजसेवी ने मंद बुद्धि, मानसिक बीमार जैसे सड़को पर घूमने वाले लोगों को उनके परिजनों से मिलवाने का मिशन बनाया है. अब तक दो दर्जन ऐसे लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से उनके परिजनों को खोज कर उनके घर भिजवा चुके हैं


गुरुवार को फिर इस समाजसेवी ने झारखंड के रहने वाले मानसिक बीमार सफीक, जो 3 साल पहले ट्रेन में सफर के दौरान अपने परिजनों से बिछड़ गए थे और यूपी के बलिया की सड़क पर घूमते देख सोशल मीडिया के माध्यम से इनके परिजनों को खोज निकाला. वजह से 3 सालों से अपने परिवार से दूर रहने वाला मानसिक बीमार व्यक्ति की बीवी अपने शौहर को पाकर और बेटा अपने पिता को पाकर खुश हैं.


सिर पर उग चुके बड़े बड़े बाल और बढ़ी हुई दाढ़ी में सोशल मीडिया पर पोस्ट की तस्वीर झारखंड के सफीक की है जो 3 साल पहले ट्रेन में परिजनों के साथ सफर के दौरान परिजनों का साथ छूट जाने के बिछड़ गया था.


इसके बाद से ही सफीक विक्षिप्त की तरह शहर-शहर घूमते यूपी के बलिया में पहुंच गया. जहां यह सड़को पर घूम कर अपनी जिंदगी गुजार रहा था. तभी एक दिन एक युवा समाजसेवी सागर सिंह राहुल की नजर इन पर पड़ गई जो 4 सालों से सड़कों पर लावारिस घूम रहे लोगों को खोज कर उन्हें उनके परिजनों के पास पहुचाने के काम को अपना मिशन बना लिया है.


वाराणसी में मजदूरी करता है परिवार
राहुल सिंह ने सफीक पर निगरानी करते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से इसका फ़ोटो पोस्ट कर खोजना शुरू किया. अंततः राहुल की मेहनत रंग लाई और सफीक के घर वालों ने सागर सिंह से संपर्क किया. झारखंड राज्य के रहने वाले सफीक की पत्नी और बेटे जो वाराणसी में मजदूरी का काम करते है बलिया पहुंच कर जब पत्नी को पति और बेटे को पिता मिल जाने के बाद खुश होकर से सफीक को अपने साथ घर लेकर चले गए.


अब तक दो दर्जन लोगों को परिवार से मिलवा चुके
युवा समाजसेवी सागर सिंह राहुल की माने तो चार साल पहले जब ऐसे ही एक व्यक्ति को उसके घर पहुंचाया तो रक्तदान, गंगा सफाई के कार्यो के साथ ही लगा कि ऐसा काम भी इससे जोड़ना चाहिए और अब तक हम दो दर्जन ऐसे लोगों को खोज कर उनके परिवार को सौप चुके है.


सागर सिंह राहुल का यह भी कहना है कि हम यह काम इसलिए करता हूँ कि हम लोगों के पास छत है तो गर्मी, सर्दी और बरसात से हम लोगों को एक छत मिल जाता है और ये लोग खुले आसमान के नीचे अपना जीवन बिताते है तो मेरे एक छोटे प्रयास से इनको भी अपना आशियाना मिल जाय अपना घर मिल जाये तो ये अपने परिवार के साथ रहेंगे.


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