बलरामपुर: यूपी के बलरामपुर जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन का दिन नाटकीय तरीके से संपन्न हुआ. यहां जिला कलेक्ट्रेट में बीजेपी समर्थित प्रत्याशी आरती तिवारी ने दो सेट में अपना नामांकन दाखिल किया है, तो वहीं समाजवादी पार्टी की घोषित प्रत्याशी किरन यादव के पुलिस द्वारा नजरबंद किए जाने और उनका अपहरण कर लेने जैसी तमाम चर्चाएं सत्ता के गलियारे में गूंजते रहे.  


सपा प्रत्याशी ने अपना एक वीडियो भी शोशल मीडिया में वायरल कर अपने पर्चे के छीने जाने की जानकारी भी दी. यहां समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री डॉ एसपी यादव ने जिला कलेक्ट्रेट गेट पर सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान मीडिया से बात करते हुए समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री एसपी यादव ने कहा कि हमारी प्रत्याशी किरन यादव के घर पर रात से ही पुलिस का पहरा बिठा दिया गया था, साथ ही पुलिस ने उनका नामांकन पत्र भी अपने पास जप्त कर लिया है. किसी तरह जब हमारे पूर्व विधायक मसूद खां व जिलाध्यक्ष राम निवास मौर्य ने मामले में हस्तक्षेप किया तो उन्हें उनके घर से नामांकन के लिए निकलने दिया गया लेकिन उन्हें दोबारा महाराजगंज थाने के बॉर्डर पर रोक लिया गया. 


आरती को जिला पंचायत अध्यक्ष घोषित कर दिया जाएगा


सपा नेता ने आरोप लगाया कि पुलिस की गाड़ी उन्हें स्काट कर रही थी और लगातार थाना दर थाना घुमा रही थी. इस दौरान सपा कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट गेट पर लगातार नारेबाजी कर रहे थे. सपा नेताओं और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई. पूरे दिन चली इस गहमा गहमी के बीच निर्धारित समय तीन बजे का वक्त बीत गया और नामांकन का अंतिम दिन में समाप्त हो गया. पूरे मामले पर अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार शुक्ला ने बताया कि आज आरती तिवारी ने दो सेट में अपना नामांकन दाखिल किया है जो वैध है. अन्य किसी ने अपना नामांकन नहीं दाखिल किया है. जिसके चलते आगामी 29 जून को आरती को जिला पंचायत अध्यक्ष घोषित कर दिया जाएगा. वहीं पुलिस पर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पुलिस पर लगाए गए सभी आरोप निराधार है.


बता दें कि बलरामपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी ने वार्ड नंबर-17 चौधरीडीह से अपनी सबसे कम उम्र की जिला पंचायत सदस्य 21 वर्षीय आरती तिवारी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाया. भारतीय जनता पार्टी ने अपनी समर्थित प्रत्याशियों की सूची जब जारी की थी तब आरती के चाचा श्याम मनोहर को प्रत्याशी बनाया गया था. लेकिन चुनाव से ठीक पहले उलटफेर करते हुए आरती के चाचा श्याम मनोहर ने अपनी भतीजी आरती को मैदान में उतार दिया. जिसके बाद भारी जन समर्थन से आरती को जीत हासिल हुई. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को करीब 8500 मतों से हराया था.