प्रयागराज:  संगम नगरी प्रयागराज में एबीपी गंगा चैनल की खबर का बड़ा असर हुआ है. यहां गरीबी और आर्थिक तंगी के चलते गंगा समेत दूसरी नदियों के किनारे सैकड़ों की संख्या में शवों को दफनाए जाने की ख़बर पर सरकारी अमला हरकत में आया है. एबीपी गंगा पर खबर दिखाए जाने के बाद प्रयागराज प्रशासन ने नदियों के किनारे शवों को दफनाए जाने पर पाबंदी लगा दी है. लोग गंगा के किनारों पर शवों को दफ़न न कर सकें, इसके लिए मजिस्ट्रेट और पुलिस के साथ ही अब एसडीआरएफ की टीम भी घाटों पर तैनात की जाएगी. 


 सख्त कार्रवाई होगी


शुरुआती दौर में लोगों को समझा -बुझाकर उन्हें शवों को नदियों के किनारे दफनाने के बजाय दूसरी जगह दफनाने या फिर दाह संस्कार करने के लिए तैयार किया जाएगा. कुछ दिनों बाद ज़ोर -ज़बरदस्ती करने और पाबंदी तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. हालांकि जो लोग गरीबी की बेबसी के चलते शवों को दफनाने को मजबूर होते हैं, उनकी आर्थिक मदद किस तरह की जाएगी, इसका कोई ठोस जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है.


मानसून के चलते लगाई पाबंदी


प्रयागराज में सरकारी अमले ने यह पाबंदी महीने भर बाद मानसून की आमद होने पर नदियों का जलस्तर बढ़ते ही यह सभी शव नदियों में बहने की आशंका के मद्देनज़र उठाया है. अफसरों का मानना है कि प्रयागराज में अकेले गंगा का जलस्तर एक से डेढ़ मीटर बढ़ते ही हज़ार से ज़्यादा शव पानी में उतरकर तैरने व बहने लगेंगे. ऐसे में न सिर्फ कोहराम मचेगा. तमाम सवाल खड़े होंगे, बल्कि गंगा व दूसरी नदियों का पानी प्रदूषित होगा और वह लोगों की सेहत के लिए बड़े खतरे का सबब भी बनकर सामने आ सकता है.  


दूसरी लहर ने कहर बरपाया


गौरतलब है कि, देश के दूसरे हिस्सों की तरह संगम नगरी प्रयागराज में भी कोरोना की दूसरी लहर में बहुत बड़ी संख्या में लोगों की मौत दूसरी बीमारियों का ठीक से इलाज न हो पाने की वजह से हुई है. महामारी और लॉकडाउन के चलते तमाम लोगों के रोज़गार पर भी असर पड़ा है. इस दौरान अंतिम संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ियों व दूसरे सामानों की कीमतों में भी ज़बरदस्त उछाल हुआ है. पहले जहां ढाई -तीन हज़ार रूपये में दाह संस्कार हो जाते थे तो वहीं अब इसमें औसतन छह से सात हज़ार रूपये तक खर्च हो जा रहे हैं. प्रशासन ने कोरोना से होने वाली मौतों के अंतिम संस्कार के लिए चार हज़ार रूपये निर्धारित किये हैं, लेकिन यह बहुत व्यवहारिक नहीं रह गया है. 


बड़ी संख्या में लोगों को दफनाया जा रहा है


प्रयागराज में संगम की मौजूदगी और यहां का विशेष धार्मिक महत्व होने की वजह से जिले में गंगा के घाटों पर आस -पास के तमाम जिलों के साथ ही मध्य प्रदेश के भी कई जनपदों से लोग अपनों का अंतिम संस्कार करने के लिए आते हैं. धार्मिक मान्यता के मुताबिक़ कम उम्र के लोगों -सन्यासियों और अकाल मौत व सांप काटने से मौत के मुंह में समाने वालों का दाह संस्कार करने के बजाय उन्हें दफनाने की मान्यता और परंपरा भी है. हालांकि आम तौर पर लोग अपने खेतों -बगीचों- घर के पिछवाड़े या फिर ग्राम समाज द्वारा तय की जगह पर ही कब्र खोदकर वहां दफनाते हैं. इक्का -दुक्का संख्या में ही लोग गंगा के घाटों पर शवों को दफनाते थे. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप में प्रयागराज में गंगा नदी के पानी के ठीक बगल के रेतीले इलाके में रोज़ाना बड़ी संख्या में शवों को दफनाया जा रहा है. फाफामऊ हो या श्रृंगवेरपुर, अरैल का इलाका हो या फिर छतनाग घाट, हर जगह दस -बीस नहीं, बल्कि सैकड़ों की संख्या में शवों को दफनाया जा रहा है. फाफामऊ और श्रृंगवेरपुर में तो कब्रों की कोई गिनती ही नहीं है. गंगा का रेतीला मैदान भी यहां छोटा नज़र आ रहा है. कब्रों में भी दो गज़ की दूरी नहीं बची है. 


घाट पर अंतिम संस्कार कराने और अक्सर यहां आने वाले लोग भी इस मंज़र को देखकर हैरान हैं. उनका कहना है कि ऐसा मंज़र उन्होंने न पहले कभी देखा था और न ही इसकी कल्पना की थी. दावा यह किया जा रहा है कि दाह संस्कार का खर्च उठा सकने में नाकाम लोग ही बेबसी और मजबूरी में अपनों के शवों को गंगा किनारे कब्र बनाकर वहां दफना दे रहे हैं. प्रयागराज रेंज के आईजी कवीन्द्र प्रताप सिंह के मुताबिक़ नदियों में शवों को प्रवाहित किये जाने पर सरकार की तरफ से पहले से ही पाबंदी लगी हुई है, लेकिन स्थानीय परिस्थितियों के मद्देनज़र अब प्रयागराज में शवों को नदियों के किनारे दफनाने पर रोक लगा दी गई है. वैसे इस मामले में कहा जा सकता है कि कोरोना ने जहां लोगों का जीना हराम कर रखा है, वहीं मरने के बाद भी तमाम लोगों को मुक्ति नहीं मिल पा रही है.     


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