Varanasi News: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के सुर सुंदरदास अस्पताल और अन्य चिकित्सा संस्थानों में शहर के साथ-साथ दूरदराज, यहां तक की बिहार से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं. इसमें बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिन्हें BHU चिकित्सा संस्थान के इलाज से एक नई जिंदगी मिलती है. इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें इस चिकित्सा संस्थान ने बिहार के एक चाय बेचने वाले की बेटी के इलाज के लिए लाखों रुपए खर्च कर दिए हैं और बहुत जल्द वह बेटी स्वस्थ होकर अपने परिवार के बीच लौटेगी.


बच्ची को स्कूल में लगी चोट


BHU प्रशासन ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान जानकारी दी कि 'यह घटना बिहार के रोहतास जिले की है, जहां एक चाय वाले की बेटी प्रिया जिसकी उम्र 8 साल है. वह स्कूल में खेलते समय चोटिल हो गई थी. प्रिया के सर्वाइकल स्पाइन में गंभीर चोट के कारण उसका बहुत अधिक खून बह गया था. जिसके बाद बिहार के चिकित्सकों ने प्रिया को वाराणसी में इलाज कराने की सलाह दी. परिवार ने बेटी की तबीयत बिगड़ता देख फरवरी 2022 में प्रिया को बीएचयू लाया जहां उसे ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया.


8 महीने तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रही बच्ची


अस्पताल प्रशासन ने बताया कि अप्रैल 2022 में ट्रामा सेंटर स्थित न्यूरो ओटी में बच्ची का ऑपरेशन किया गया. जिसके बाद उसे आईसीयू में ट्रांसफर कर दिया गया और वहां पर उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया. सर्जरी के बाद प्रिया लगभग 8 महीने तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रही. इस दौरान वह कोई गतिविधि नहीं कर पा रही थी, लेकिन 8 महीने बाद भी चिकित्सकों ने लगातार उपचार जारी रखा और धीरे-धीरे बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार भी देखा जाने लगा. वर्तमान समय में उसे सिर्फ एक से दो घंटे तक ही वेंटीलेटर की आवश्यकता होती है.


बच्ची के इलाज पर BHU ने खर्च किए 65 लाख से अधिक


प्रिया के परिजनों ने इलाज के लिए BHU प्रशासन से गुहार लगाई और तकरीबन डेढ़ साल तक के इलाज में BHU चिकित्सा संस्थान ने 65 लाख से अधिक रुपए खर्च कर दिए. जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि हमारी प्राथमिकता रही की बच्ची को अच्छा इलाज मिले और वह स्वस्थ होकर अपने परिजनों के बीच लौटे. बच्ची को यहां पर 22 फरवरी 2022 को एडमिट कराया गया था और अब तक उसके इलाज में 65 लाख से अधिक रुपए खर्च हो चुके हैं. इसके अलावा प्रिया के परिजनों ने भी अच्छे इलाज और आर्थिक सहयोग से मिली नई जिंदगी के लिए BHU का आभार प्रकट किया है.


बच्ची की इच्छा शक्ति को चिकित्सकों ने किया सलाम


एनेस्थीसिया विभाग की प्रोफेसर कविता ने प्रिया के बारे में बताया कि यह एक दुर्लभ मामला है, जिसमें मरीज की इच्छाशक्ति, जज्बे और चिकित्सीय देखभाल के माध्यम से आश्चर्यजनक रूप से बच्चे की हालत में सुधार देखने को मिला है. प्रिया अपने माता-पिता से बात कर पा रही है, खाना भी खा ले रही है इसके साथ ही व्हीलचेयर की मदद से इधर-उधर भी जा रही है.


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