Banda: विंध्याचल से हर दुर्गा अष्टमी बांदा के इस पर्वत पर आकर रुकती हैं देवी विंध्यवासिनी, जानें - क्या है मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
उत्तर प्रदेश के बांदा में खत्री पहाड़ी पर मां विंध्यवासिनी का मंदिर स्थित है. माना जाता है कि हर साल दुर्गा अष्टमी पर वह मिर्जापुर के विंध्याचल से यहां आकर विराजमान होती हैं.
UP News: बांदा जनपद (Banda) के खत्री पहाड़ स्थित मां विंध्यवासिनी (Maa Vindhyavasini) के मंदिर में अष्टमी (Ashtami) के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है. ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में जब यशोदा की पुत्री को कंस ने देवकी की आठवीं संतान समझकर मारना चाहा तो वह उसके हाथ से विलीन होकर इसी पर्वत पर आ गई थीं. बताया जाता है कि पर्वत द्वारा उनका भार सहन न कर पाने के कारण मां विंध्यवासिनी मिर्जापुर (Mirzapur) के विंध्याचल पर्वत पर बस गई थीं. ऐसा माना जाता है कि अपने वादे के अनुसार हर दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) वह बांदा के इस पहाड़ पर विराजमान होती हैं.
मध्य प्रदेश से भी आते हैं श्रद्धालु
मां विंध्यवासिनी का मंदिर बांदा मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर गिरवां क्षेत्र के शेरपुर गांव की खत्री पहाड़ में स्थापित है. नवरात्रि के दिनों में यूपी और एमपी से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच यहां रहे हैं. यहां आकर वे मां के दरबार में मत्था टेकते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां आने पर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. ऊंचे पर्वत पर विराजमान मां के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को 511 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं तब मां के दर्शन होते हैं. कुछ श्रद्धालु तो अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सीढ़ियों पर लेट कर मां के दरबार तक पहुंच कर अपनी अर्जी लगाते हैं.
मंदिर से जुड़ी है यह मान्यता
मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां आने वाले मरीजों के रोग ठीक हो जाते हैं. आसपास के इलाके के नवविवाहित जोड़े सबसे पहले यहीं आकर आशीर्वाद लेते हैं. यहां शारदीय नवरात्र पर 10 दिनों तक मेला लगता है जिस वजह से यहां सुरक्षा बलों की तैनाती की जाती है. हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
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