UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) का प्रदेश को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का दावा बांदा में खोखला नजर आ रहा. बांदा के जिला अस्पताल (Banda District Hospital) में रात को घंटों बिजली गायब रहती है जिसके चलते टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज होता है. मरीजों के तीमारदार अस्पताल व्यवस्थाओं पर सवाल उठा रहे हैं. वहीं इस मामले में जिला अस्पताल के सीएमएस का कहना है कि जिला अस्पताल का अलग से स्वतंत्र फीडर है लेकिन इस फीडर से दूसरे क्षेत्र को जोड़ देने से यह समस्या  आ रही है. ज्यादा लोड होने के चलते जनरेटर भी हीट हो जाता है जिसकी वजह से कभी कभी दिक्कत हो जाती है.


हालात जस के तस नजर आ रहे
यूपी में सरकार चाहे किसी की रही हो लेकिन यहां की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बारे में कहा जाता है कि हमेशा भगवान भरोसे ही रही हैं. वर्तमान सरकार द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक द्वारा लगातार जिला अस्पतालों की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने के लिए छापेमारी भी की जा रही है लेकिन इसके बावजूद भी हालात जस के तस ही नजर आ रहे हैं. 


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टांके टॉर्च की रोशनी में लग रहे
ताजा मामला बांदा जनपद का है. यहां की तस्वीरें देखकर आप स्वयं ही अंदाजा लगा सकते हैं कि अस्पताल की व्यवस्थाएं किस तरह की हैं. बांदा के जिला अस्पताल में टार्च की रोशनी में मरीजों का इलाज किया जा रहा है. यहां तक कि माइनर ओटी में मरीज को टांके भी टॉर्च की रोशनी में ही लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा बोतल चढ़ाने  से लेकर कागजी कार्रवाई तक सब यहां टॉर्च की रोशनी में चल रही है. इसका कारण है कि अस्पताल की लाइट अचानक चली गई और अस्पताल में जो जनरेटर था वह भी जवाब दे गया.




करना पड़ता है दिक्कत का सामना
मरीजों का कहना है कि, जिला अस्पताल की यह स्थिति कोई नई नहीं है. यहां कई दिनों से भर्ती मरीजों के तीमारदारों का कहना है कि यहां पर कई दिनों से लाइट की यही समस्या है. जब रात में लाइट चली जाती है तो समस्या और भी गंभीर हो जाती है. जिला अस्पताल में कई तरह की गंभीर बीमारियों के मरीज भी भर्ती हैं जिनका इलाज बिना बिजली की सप्लाई के संभव नहीं होता. ऐसे में इन मरीजों को बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है.


मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने क्या कहा
इस मामले पर जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एसएन मिश्रा का कहना है कि, जिला अस्पताल का स्वतंत्र फीडर है लेकिन कुछ समस्या होने के कारण दूसरे फीडर से जोड़ दिया गया है जिसकी वजह से इस समय बिजली की समस्या अधिक हो रही है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि अस्पताल में एक बड़ा जेनरेटर भी है. बिजली सप्लाई बाधित होने पर जेनरेटर से बिजली की सप्लाई की जाती है लेकिन अधिक लोड पड़ने की वजह से जनरेटर भी हीट होकर बंद हो जाता है. हमारा स्वतंत्र फीडर है इसके बाद भी अगर व्यवस्था सही नहीं हो पा रही है तो हम इसके बारे में ऊपर के अधिकारियों से बात करेंगे. 


सवाल यह उठता है कि जब मामला मीडिया की नजर में आया तभी सीएमओ साहब को मरीजों की चिंता हुई. इससे पहले उन्होंने इस अव्यवस्था के बारे में बिजली विभाग के अधिकारियों से बात करना उचित नहीं समझा. भले ही ऐसी अवस्थाओं की स्थिति में किसी मरीज की जान ही क्यों ना चली जाए.


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