Mukhtar Ansari News: पूर्वांचल के माफिया डॉन के तौर पर बदनाम पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी साढ़े तीन साल पहले पंजाब भेजे जाने से पहले यूपी की बांदा जेल में जिस सिम कार्ड का इस्तेमाल करता था, उसे संगम नगरी प्रयागराज से महज़ पांच सौ रूपये में खरीदा गया था. यह प्री एक्टीवेटेड सिम था, जिसे बिना कोई डॉक्यूमेंट दिए हुए सिर्फ पांच सौ रूपये में हासिल किया गया था. मुख्तार अंसारी ने इसी सिम कार्ड से कॉल कर पंजाब के बिल्डर से दस करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी थी. रंगदारी के इसी मामले में मुख्तार के खिलाफ पंजाब में मुकदमा दर्ज हुआ था और गुपचुप तरीके से उसे यूपी की बांदा जेल से पंजाब की रोपड़ जेल ट्रांसफर कर दिया गया था. यानी साफ तौर पर कहा जा सकता है कि कि मुख्तार को यूपी से पंजाब ट्रांसफर किए जाने की साजिश की स्क्रिप्ट प्रयागराज में ही लिखी गई थी.


हालांकि इस साजिश में मुख्तार के साथ उसके और कौन से करीबी शामिल थे, इस रहस्य से पर्दा उठना अभी बाकी है. पांच सौ रूपये में फर्जी नाम पते पर सिम कार्ड लेने वाले का भी अभी तक पता नहीं चल सका है. पंजाब की विधानसभा में पिछले हफ्ते वहां के मौजूदा जेल मंत्री हरजोत बैंस ने मुख्तार के मामले को लेकर जो सनसनीखेज बयान दिया है, उसके बाद यूपी का सरकारी अमला भी एक बार फिर से हरकत में आ गया है. मुख्तार अंसारी को मिलीभगत से जेल ट्रांसफर किए जाने की फाइल फिर से खोल दी गई है. सभी रिकार्डों को फिर से खंगाला जा रहा है. इतना ही नहीं यूपी का गृह मंत्रालय नए सिरे से रिपोर्ट तैयार कर उसे पंजाब की नई सरकार को सौंपने की तैयारी में भी है. यूपी सरकार पंजाब की नई सरकार से इस पूरे मामले की गहराई से छानबीन किए जाने की सिफारिश भी कर सकती है.


बाहुबली मुख्तार पर शिकंजा कसेगा
अगर इस पूरे मामले में नए सिरे से छानबीन होती है तो बाहुबली मुख्तार पर शिकंजा तो कसेगा ही, साथ ही तमाम दूसरे लोग भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं. दरअसल पंजाब के जेल मंत्री हरजोत बैंस ने पिछले हफ्ते वहां की विधानसभा में बयान दिया था कि पंजाब की पिछली कांग्रेस सरकार ने मुख्तार अंसारी को फायदा पहुंचाने के लिए फर्जी मामले में केस दर्ज कराया था और साजिश के तहत ही उसे यूपी की बांदा से अपने यहां की रोपड़ जेल में ट्रांसफर करा लिया था. जेल मंत्री ने यह भी कहा था कि पंजाब की रोपड़ जेल मुख्तार अंसारी के लिए किसी ऐशगाह की तरह थी. यहां उसे फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएं मिलती थी. वह अपनी पत्नी व परिवार के दूसरे लोगों को भी बुलाकर साथ रख लेता था.


दरअसल साल 2019 में मुख्तार अंसारी को जब रातों-रात यूपी से पंजाब की जेल में ट्रांसफर किया गया था तो कोहराम मच गया था. यूपी सरकार ने इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी थी. जेल के कई कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी. एसटीएफ ने उस वक्त भी जांच की थी, लेकिन पंजाब की तत्कालीन सरकार की मेहरबानी के चलते मामले को दबा दिया गया था. यूपी एसटीएफ ने इस मामले की फाइल अब दोबारा नए सिरे से तैयार करनी शुरू कर दी है.


प्रयागराज की लक्ष्मण मार्केट से खरीदा सिम
एसटीएफ ने जो जांच की है उसके मुताबिक मुख्तार अंसारी बांदा जेल में जिस सिम कार्ड का इस्तेमाल करता था और जिस सिम कार्ड से उसने पंजाब के बिल्डर को धमकी देकर उससे 10 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी थी उसे प्रयागराज से खरीदा गया था. इस सिम कार्ड को प्रयागराज की लक्ष्मण मार्केट की इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट में एक मोबाइल शॉप से लिया गया था. किसी ने दुकान के सेल्समैन को सिर्फ पांच सौ रूपये ज्यादा देकर उससे एक्टिवेटेड सिम कार्ड हासिल कर लिया था. सेल्समैन ने सिर्फ पांच सौ रूपये की लालच में सिम कार्ड लेने वाले से कोई डॉक्यूमेंट ही नहीं लिए थे और ना ही वह उसे जानता व पहचानता था. 


दुकानदार और सेल्समैन से एसटीएफ ने पहले भी पूछताछ की थी. पंजाब के जेल मंत्री के बयान के बाद एक बार फिर से दुकानदार और सेल्समैन के बयान लिए गए हैं. हालांकि सिम कार्ड सेल्समैन से किसने लिया था इसका खुलासा अभी नहीं हो सका है. सेल्समैन ने जांच एजेंसी को दिए बयान में यही कहा है कि वह पांच सौ रूपये की लालच में पड़ गया था. वह सिम कार्ड लेने वाले को ना तो जानता है और ना ही उसने उससे कोई डॉक्यूमेंट लिए थे. जांच एजेंसी जिस तरह से दुकानदार और सेल्समैन के बयान दोबारा ले रही है, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस पूरे मामले की फाइल नए सिरे से तैयार की जा रही है और पंजाब सरकार को रिपोर्ट सौंपकर उससे नए सिरे से जांच कराए जाने की सिफारिश की जा सकती है.


दरअसल योगीराज में मुख्तार अंसारी को जब बांदा जेल में सुविधाएं मिलना बंद हो गई थी और उस पर कानून का शिकंजा कसने लगा था तो उसने पंजाब की तत्कालीन सरकार से मिलीभगत कर अपना ट्रांसफर वहां की रोपड़ जेल में करा लिया था. मुख्तार अंसारी ने इसके लिए प्रयागराज से फर्जी नाम पते पर एक्टिवेटेड सिम कार्ड मंगा कर पंजाब के अपने एक परिचित बिल्डर को फोन किया था. फोन पर जानबूझकर 10 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी थी. यह काल बिल्डर ने रिकॉर्ड की थी और मुख्तार को मदद पहुंचाने के लिए वहां की पुलिस में पहले से लिखी स्क्रिप्ट के मुताबिक शिकायत भी की थी. 


मुख्तार अंसारी लंबे समय तक बांदा जेल से इस सिम कार्ड का इस्तेमाल करता था. मुख्तार अंसारी ने 8 जनवरी 2019 को बिल्डर को फोन कर फर्जी तौर पर रंगदारी मांगी थी. इसी केस में 24 जनवरी 2019 को मुख्तार अंसारी बांदा जेल से रोपड़ जेल ट्रांसफर हो गया था. हालांकि योगी सरकार तकरीबन 27 महीने बाद पिछले साल अप्रैल महीने में मुख्तार अंसारी को वापस बांदा जेल लाने में कामयाब रही. अब मुख्तार अंसारी यूपी व पंजाब दोनों ही सरकारों के निशाने पर हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में उस पर कानूनी शिकंजा और कस सकता है. उसकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. एसटीएफ एक बार फिर से जेल जाकर सिम कार्ड के बारे में उससे पूछताछ कर सकती है. उसके खिलाफ फर्जी नाम पते पर सिम कार्ड हासिल करने का मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है.


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