Banda News: जल संरक्षण के अभियान में जुटे जिलाधिकारी ने खुद चलाया फावड़ा, झील को पुनर्जीवित करने की चलाई है मुहिम
उत्तर प्रदेश में बांदा के डीएम अनुराग पटेल ने भी श्रमिकों और समाजसेवियों के साथ फावड़ा चलाकर श्रमदान किया. यहां सूखे हुए परंपरागत जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बांदा (Banda) में सूखी पड़ी 123 भीगे की मरोली चिलकुर पुनर्जीवित करने के लिए चल रहे खुदाई के कार्य के दौरान जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने भी श्रमिकों और समाजसेवियों के साथ फावड़ा चलाकर श्रमदान किया. जिला अधिकारी द्वारा इन दिनों जनपद के सूखे पड़े झीलों और तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. बता दें कि, बुंदेलखंड की पहचान पिछले तीन दशक से सूखे और बदहाल क्षेत्र के रूप में की जाती रही है. यहां की सबसे बड़ी समस्या पानी की रही है.
अभियान चलाया जा रहा है
पानी के लिए संघर्ष करना बुंदेलखंड के लोगों के लिए आम बात है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में पानी की भीषण समस्या उत्पन्न हो जाती है. बांदा में लगातार चल स्तर घटता जा रहा है जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद तालाब और झीलें सूख चुकी हैं. इन्हीं सूखे हुए परंपरागत जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए बांदा के जिलाधिकारी अनुराग पटेल द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है.
डीएम ने खुद फावड़ा चलाया
इसी क्रम में मटौंध क्षेत्र के परम पुरवा गांव में स्थित जनपद की सबसे बड़ी 123 बीघे की मरौली लगभग सूख चुकी है. अभियान में इसे भी शामिल किया गया है. पहले इस झील के पानी का आसपास के कई गांव के लोग उपयोग करते थे लेकिन अब यह भी सूखने की कगार पर है जिसको पुनर्जीवित करने के लिए जिलाधिकारी ने फिर से मुहिम चलाई है. इस मुहिम में शासन प्रशासन के साथ ही आम जनता भी सहयोग कर रही है. इसी क्रम में जिलाधिकारी ने मौके पर पहुंचकर श्रमिकों, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों के साथ खुद फावड़ा चलाकर श्रमदान किया.
डीएम ने क्या बताया
जिलाधकारी अनुराग पटेल ने बताया कि, जल संचयन की प्रेरणा उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी से मिली है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सोच है कि खेत का पानी खेत में, तालाब का पानी तालाब में संरक्षित करें तभी जल का संचयन हो पाएगा. उन्होंने बताया कि आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है इसी क्रम में 22 अप्रैल पृथ्वी दिवस के दिन उन्होंने जनपद के 75 अमृत सरोवरों को चयनित कर उन्हें पुनर्जीवित करने का अभियान शुरु किया था.
डीएम ने बताया, इसी क्रम में जनपद की 123 बीघे की मरोली झील को अमृत महोत्सव के अंतर्गत सबसे बड़ी झील/तालाब के रूप में विकसित करेंगे और इस झील को इतने बेहतर ढंग से तैयार करेंगे कि सरकार कार्य को देखकर यहां के लोगों को पुरस्कृत करें और चतुर्थ वाटर अवार्ड में मरौली झील का नाम आए.