Uttar Pradesh News: गणतंत्र दिवस के अवसर पर तमाम क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों के लिए कई लोगों को पद्म पुरस्कार (Padma Awards 2023) से सम्मानित किया गया है. बांदा (Banda) जनपद में भी जल संरक्षण (Water Conservation) के लिए 30 वर्षों से कार्य करने वाले जल योद्धा व सामाजिक कार्यकर्ता उमा शंकर पांडे (Social Worker Uma Shankar Pandey) को इस बार पद्मश्री सम्मान (Padma Shri award) से नवाजा गया है. उमा शंकर पांडे जनपद के जखनी गांव के रहने वाले हैं और उन्होंने खेतों पर मेड़ बनाकर पानी को संरक्षित करने की विशेष मुहिम चलाई थी, जिसके चलते कभी पानी की समस्या से जूझते गांव में अब मई-जून की भीषण गर्मी में भी पानी की कोई समस्या नहीं होती है.


उमा शंकर पांडे बांदा मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर जखनी गांव के रहने वाले हैं. जखनी गांव में पहले पानी की बहुत समस्या थी. उमा शंकर पांडे ने कई साल पहले पानी की समस्या को दूर करने के लिए अपने मन में संकल्प लिया और गांव के कुछ लोगों के साथ मिलकर बिना किसी सरकारी मदद के पानी की समस्या के समाधान की मुहिम में जुट गए. उन्होंने जल संरक्षण का परंपरागत तरीका अपनाने की ठानी और सबसे पहले उन्होंने लोगों से बातचीत कर उन्हें समझाया कि सभी लोग अपने अपने खेतों में मेड़ बनाकर वर्षा के पानी को खेतों पर ही रोकें और मेड़ों पर पेड़ भी लगाएं. इस अभियान का नाम भी उन्होंने "खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़" रखा.


दूर हुई पानी की समस्या
शुरुआत में कुछ लोगों ने उमाशंकर पांडेय की बात से सहमत होकर खेतों में पानी रोकने का प्रयास किया और यह सफल रहा. इसके बाद फिर गांव के सभी लोगों ने अपने खेतों में मेड़ बनाकर गांव के पानी को गांव में ही रोक लिया. पहले गांव में गर्मियों के 4 महीने में लोगों को काफी दूर से घरों में पानी लाना पड़ता था, क्योंकि अधिकांश कुएं व तालाब सूख जाते थे, लेकिन अब जखनी गांव के हर कुएं व तालाबों में हमेशा पानी मिल जाएगा. 


यहां तक की भीषण गर्मी के समय में भी यहां के कुओं में 4 से 5 फीट में नीचे पानी मिल जाता है. उमाशंकर पांडेय द्वारा लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करने के बाद जखनी के मॉडल को देख कर अब तो कई गांवों ने यही तरीका अपना लिया है. उमा शंकर पाण्डेय की जल संरक्षण के लिए चलाई गई इस मुहिम का अब सरकार ने भी सम्मान किया है और उन्हें पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की है. इसे लेकर उमा शंकर पांडे और उनका परिवार काफी खुश है.


क्या कहा उमा शंकर पांडे ने
उमा शंकर पांडे का कहना है कि सरकार ने उनको यह सम्मान देकर जो गौरव का पल दिया है उसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री का हृदय से धन्यवाद करता हूं कि मुझे सम्मान के लिए चुना गया. उन्होंने कहा कि जल संरक्षण की परंपरागत विधि "खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़" बिना सरकार के सहयोग के हो सकती है. इस अभियान को गांव से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए सरकार ने उन्हें चुना है.


उमा शंकर पांडे ने बताया कि एक समय ऐसा आया कि जब मालगाड़ी से बुंदेलखंड में पानी लाया जाने लगा था, लेकिन बुंदेलखंड हमेशा से ऐसा नहीं था यहां भी पानी था, लेकिन हम पानी को संरक्षित नहीं कर पाए. उन्होंने कहा कि हमारी परंपरागत जल संरक्षण की विधियां आज भी कारगर हैं और हमने भी वही तरीका अपनाया. हमने खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़ लगाकर जल को संरक्षित करने का काम किया. उन्होंने कहा कि पुरस्कार मिलने से काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं और पुरस्कार मिलने के बाद मुझे अपने काम में और खरा उतरना पड़ेगा.


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