UP News: कभी थे चंबल के खौफनाक बीहड़ों के डकैत, अब समाज सेवा कर मिटाएंगे अपने पाप
Chambal Dacoits: पुलिस के अभियान के बाद चंबल का बीहड़ डाकू विहीन हो गया. कुछ डकैत मारे गए, तो कुछ ने पुलिस के समक्ष हथियार डाल दिए. उसी दौरान इस दोनों ने भी पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया.
Uttar Pradesh News: बीहड़ में दस्यु का पर्याय बने रामवीर और अरविंद गुज्जर जिनके नाम से कभी चंबल में आतंक का एक अध्याय रहा है. वहीं अब दस्यु भाई हथियारों को छोड़ कर जनता के बीच जाकर समाजसेवा का मन बना रहे हैं. परिवार के एक युवक जय सिंह को पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ बंदूक उठाने पर इस गांव पर ऐसा असर पड़ा कि यहां के कई युवा बीहड़ में जाने पर मजबूर हो गए. उन्हीं दस्यु भाइयों में से रामवीर गुज्जर को भी पुलिस का शिकार बनना पड़ा. पुलिस ने रामवीर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. पुलिस के आतंक से रामबीर भी अपने भाई सहित बीहड़ में जाने पर मजबूर हो गए.
खुद को किया था पुलिस के हवाले
चंबल के बीहड़ों में अपने मौसेरे भाइयों संग गुज्जरों की बादशाहत बढ़ने लगा. इसी बीच चंबल के खूंखार डाकू निर्भय गुज्जर ने अपनी बादशाहत में सेंध लगते देख अरविंद की गैंग पर हमला बोल दिया. इसके कारण दोनो गैंगों की टकराव से चंबल का बीहड़ अपराध के लिए जाना जाने लगा. चंबल के बीहड़ में दर्जनों डकैत अपनी-अपनी टोलियों के साथ रहने लगे. चंबल के अपहरण उद्योग ने प्रशासन को हिला कर रख दिया. तत्कालीन एसएसपी दलजीत सिंह चौधरी ने एक सघन अभियान चलाया, जिससे चंबल का बीहड़ डाकू विहीन हो गया. कुछ डकैत मारे गए, तो कुछ ने पुलिस के समक्ष हथियार डाल दिए. उसी दौर में दस्यु सरगना अरविंद गुज्जर और रामबीर गुज्जर ने अपने साथियों के साथ मध्य प्रदेश में आत्मसमर्पण कर दिया.
तकरीबन एक दशक जेल की सलाखों के पीछे तीन दर्जन मुकदमों से बरी होकर वे पुनः अपने गांव वापस लौटे हैं. अब वे हथियारों से तौबा कर समाज के बीच सामान्य जिंदगी जी कर लोगों की सेवा करना चाहते हैं. दस्यु रामवीर ने बताया अगर सरकार ने मौका दिया, तो हम इस क्षेत्र की तस्वीर बदल देंगे. दोनो भाई राजनीति में आना चाह रहे हैं. डकैत भाइयों की सोच है कि अब समाज में सेवा कर राजनीति में अपना एक नया इतिहास बनाएंगे.
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