बांग्लादेश हिंसा को लेकर हरिद्वार में संतों की बैठक, पीएम-राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
Bangladesh Violence: हरिद्वार में अखाड़ा परिषद के संतों ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर मौजूदा सरकार से कदम उठाने की मांग कर रहे हैं. आज अवधूत मंडल आश्रम में साधु संतों ने बैठक की.
Bangladesh Violence News: बांग्लादेश हिंसा के विरोध में हिंदुस्तान में हर रोज जगह-जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं. साथ ही भारत सरकार से बांग्लादेश के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की जा रही है. इसी कड़ी में आज संत समाज बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्यचारों के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की है.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर साधु संतों में रोष है. साधु संत लगातार भारत सरकार से इस मामले में कदम उठाने की मांग कर रहे हैं. आज हरिद्वार के अवधूत मंडल आश्रम में साधु संतों ने बैठक की गई, जिसमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा.
बांग्लादेश में हो रहे हिंसा को लेकर संत समाज नाराज
संतों की बैठक में हरिद्वार के सभी अखाड़ों जुड़े संतो सहित अखाड़ों के महामंडलेश्वर और अन्य संत मौजूद रहे. संतों ने कहा कि बांग्लादेश में तख्तापलट होने के बाद वहां के हिंदुओं के ऊपर अत्याचार किया जा रहा है. इसके लिए भारत सरकार को कदम उठाकर बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा करनी चाहिए. वहीं संतों ने बांग्लादेश के दो करोड़ हिंदुओं के लिए अलग देश बनाए जाने की मांग भी कर डाली.
संत समाज ने की मोदी सरकार से ये मांग
बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चल रहे छात्र विद्रोह के दौरान अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की खबरों के बीच उत्तराखंड में संत समाज ने नाराजगी जताई है. संत समाज ने मौजूदा सरकार से बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा करने की मांग की गई है. बांग्लादेश में राजनीतिक उथल पुथल के बीच हिंसा तेज हो गई है. हालांकि बांग्लादेश में हिंदू मठ मंदिरों को नुकसान पहुंचाने की खबर सामने आई है, तो वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग भी मंदिर की हिफाजत के लिए रात में मंदिरों के सामने पहरा दे रहे हैं.
बांग्लादेश में हिंसा के बीच पांच अगस्त को को शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा सौंपकर भारत आ गई थीं. उनके देश छोड़कर भागने के कुछ ही घंटों बाद पर्दनकारियों ने संसद और पीएम के अधिकारिक आवास समेत कई सरकारी इमारतों पर भी हमला किया था और जमकर लूटपाट की. राष्ट्रीय स्मारकों और सरकार के समर्थकों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया. इस दौरान बांग्लादेशी हिंदुओं को भी निशाना बनाया गया.
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