पिछले साल सरकार द्वारा बैंकों के विलय के एलान बाद कई बैंकों के नाम बदलने वाले हैं। यह व्यवस्था एक अप्रैल 2020 से लागू हो जाएगी। कई खाता धारक ऐसे होंगे जिनके बैंक के नाम अब कुछ और होंगे। ग्राहकों के लिये अब यह जानना जरूरी है कि उनके बैंक का नया नाम क्या होगा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, ये प्रक्रिया क्या होगी, किस तरह लागू होगी?


बैंकों के विलय की पिछले साल हुई थी घोषणा
भारत सरकार की तरफ से पिछले साल अगस्त 2019 में घोषणा की गई थी कि चार बड़े बैंक बनाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय किया जाएगा।


27 नहीं सार्वजनिक क्षेत्र के अब 12 बैंक
बैंकों के विलय को लेकर पिछले साल किए गए फैसले के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 पर आ गयी थी। इससे पहले सरकार के नियंत्रण वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 थी। गौरतलब है कि पिछले साल किए गए केंद्र सरकार के फैसले में इन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय का प्रस्ताव है। पूरा ब्यौरा इस प्रकार है।


-यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स का विलय पंजाब नेशनल बैंक में
-सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक में
-इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में
-आंध्र बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में।


बैंक का हुआ विलय
केंद्र सरकार के फैसले के बाद पिछले साल ही देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय कर दिया गया था।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में जानकारी देते हुये कहा कि चार बड़े बैंकों में सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय का काम जारी है। वित्तमंत्री ने बताया कि बैंकों का विलय एक अप्रैल 2020 से लागू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विलय प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। वित्तमंत्री ने यह भी बताया है कि केंद्र सरकार संबंधित बैंकों के साथ लगातार संपर्क में है।