UP News: उत्तर प्रदेश के मथुरा (Mathura) में बांके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Mandir) की जमीन को राजस्व अभिलेखों में कब्रिस्तान दर्ज किए जाने के मामले में मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट में छाता तहसील की एसडीएम श्वेता पेश हुईं. सुनवाई के दौरान में जमीन विवाद से संबंधित सभी रिकॉर्ड पेश किए गए. खतौनी और इंद्राज से संबंधित रेवेन्यू रिकॉर्ड कोर्ट में पेश हुए.


हाईकोर्ट में बुधवार (6 सितंबर) को भी इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी. बुधवार को सुबह 10 बजे से चीफ जस्टिस कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी. इस सुनवाई में एसडीएम को व्यक्तिगत तौर कोर्ट में मौजूद नहीं रहना होगा. हाईकोर्ट ने बुधवार की सुनवाई के लिए एसडीएम को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी है. जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई. 


श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट ने दाखिल की है याचिका


श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की ओर से याचिका दाखिल की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया था कि बांके बिहारी मंदिर की जमीन को सियासी दबाव में कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज कर दिया गया था. साल 2004 में जब यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी तो उनकी पार्टी के यूथ ब्रिगेड के नेता भोला खान पठान ने सीएम को संबोधित एक अर्जी दी थी. इस पर तत्कालीन मुख्य सचिव ने आदेश दिया था.


मंदिर ट्रस्ट ने कई बार की शिकायत


सरकार के आदेश के बाद ही मंदिर की जमीन कब्रिस्तान के नाम दर्ज हो गई थी. मंदिर ट्रस्ट ने इसके खिलाफ कई बार शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. बाद में यह जमीन पुरानी आबादी बता दी गई. यह मामला वक्फ बोर्ड और दूसरे विभागों तक भी गया. 8 सदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट में भी यह साफ हो गया कि जमीन मनमाने तरीके से कब्रिस्तान के नाम दर्ज की गई.


प्लॉट नंबर 1081 से जुड़ा हुआ है मामला


इसके बावजूद जमीन मंदिर ट्रस्ट के नाम वापस नहीं दर्ज की गई. ट्रस्ट ने इस पर पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. इसी याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है. मथुरा की छाता तहसील के शाहपुर गांव के प्लॉट नंबर 1081 से मामला जुड़ा हुआ है. प्राचीन काल से ही गाटा संख्या 1081 बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था.


ये भी पढ़ें- Ghosi-Bageshwar Bypoll 2023: घोसी और बागेश्वर उपचुनाव में 50 फीसदी से ज्यादा हुई वोटिंग, 8 सिंतबर को आएगा रिजल्ट