बाराबंकी, एबीपी गंगा।  'जो रब है वही राम है'  का संदेश पूरी दुनिया में देने वाले महान सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की सरज़मीं बाराबंकी में दो मुस्लिम भाइयों ने एकता और भाईचारे की नजीर पेश की है। हिंदू-मुस्लिम भाइचारे की मिसाल पेश करने वाले इन दो भाइयों का नाम उस्मान और सलमान सिद्दीकी हैं, जिन्होंने अपनी बेशकीमती लगभग 15 हजार स्क्वायर फीट जमीन को मंदिर के लिए दान कर दी है। दरअसल, इन दोनों ने अपनी ये जमीन प्रसिद्ध भुईयां बाबा के प्राचीन मंदिर  हिन्दू भक्तों को जाने के रास्ते के रूप में दान दे दी है। आपको बता दें कि यहां पिछले 20 वर्षों से मंदिर के रास्ते को लेकर विवाद चल रहा था, जिसका हल हो गया है।



 

जहां एक तरफ अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद तमाम मुस्लिम संगठन एक मत नहीं हैं और शीर्ष न्यायालय के फैसले पर अलग-अलग राय दे रहे हैं। वहीं, बाराबंकी जिले में मुस्लिम समाज के दो भाइयों ने मंदिर के नाम अपनी बेशकीमती जमीन दान देकर कौमी एकता की मिसाल पेश की है।


 

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और धर्मनगरी अयोध्या जिले के सबसे नजदीकी जिले बाराबंकी में मुस्लिम समाज के इन दो भाइयों ने लगभग 15 हजार वर्ग फिट की अपनी निजी जमीन मंदिर जाने वाले रास्ते में दान देकरअनोखी मिसाल पेश की है। धार्मिक एकता की मिसाल बने, इस सराहनीय कदम को लेकर दोनों भाइयों की इलाके में खूब वाहवाही हो रही है।


 

लोगों का मानना है कि नगर पंचायत के उत्तर टोला मोहल्ले में प्राचीन भुइँया बाबा का मंदिर है। जहां जाने के लिए कोई उपयुक्त मार्ग नहीं था और दशकों से स्थानीय लोग अफसरों और जनप्रतिनिधियों से रास्ते की मांग कर रहे थे, क्योंकि इस ऐतिहासिक देव स्थल पर लोग दूर-दराज से भारी संख्या के जुटते थे, लेकिन मंदिर जाने के लिए कोई समुचित रास्ता नहीं था और भक्तों को बरसात में कीचड़, तो अंधेरे में खेतों से होकर आना पड़ता था और उन्हें सांप-बिच्छू काटने का भी डर लगा रहता था ।

 

 हिन्दू समाज की आस्था को ध्यान में रखते हुए उस्मान सिद्दीकी और सलमान सिद्दीकी ने लगभग 15 हजार वर्ग फिट अपनी निजी जमीन मंदिर के रास्ते के लिए दान देने का निर्णय लिया और जमीन दान दे दी। दोनों भाइयों के इस फैसले का सभी स्वागत कर रहे हैं और खुशी जाहिर कर रहे हैं।

 

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