बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की एक छोटी सी पहल ने अवैध शराब के दलदल में फसें गांववालों को निकाल कर उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया. एसपी डॉ. अरविंद चतुर्वेदी से न सिर्फ उन्हें जिंदगी जीने का एक अच्छा मौका मिल गया बल्कि अब उनके बच्चों का भी भविष्य उज्जवल दिखने लगा है.
दरअसल, कच्ची शराब बनाने वाली गांव की महिलाएं अब मधुमक्खी पालन के जरिए शहद बेच रही हैं. इतना ही नहीं मधुमक्खी के छत्तों से निकलने वाले मोम के भी दीये बनाकर अच्छी कमाई कर रही हैं.
जिला प्रशासन के सहयोग से उन्हीं महिलाओं द्वारा बनाये गए चैनपुरवा गांव के 51 हज़ार दीयों से बाराबंकी में दीप उत्सव मनाया गया. दीप उत्सव कार्यक्रम में गांव की महिलाओं के साथ यहां की वो लड़कियां भी शामिल दिखी, जो वास्तव में बदलाव होने से काफी खुश हैं.
शराब के धंधे के लिए कुख्यात था गांव
दरअसल, बाराबंकी जिले में अवैध शराब के धंधे के लिए सूरतगंज का चैनपुरवा गांव जाना जाता था. लेकिन अब यहां की महिलाओं के स्वावलंबी होने के संकल्प से कुछ अलग ही बन गया है. ये महिलाएं कच्ची शराब बनाने और बेचने के कारोबार को ना करने के संकल्प के बाद बाराबंकी डीएम डॉ आदर्श सिंह और एसपी डॉ. अरविन्द चतुर्वेदी की मिशन कायाकल्प मुहिम से जुड़ गईं.
दीपोत्सव का आयोजन
नई राह चुनने वाली महिलाओं के हाथों से बनाये गए 51 हज़ार दीयों से जीआईसी मैदान में दीपोत्सव का आयोजन किया गया. जिस आयोजन में चैनपुरवा गांव की महिलाओं को ही मुख्य अतिथि बनाया गया था. पुलिस प्रशासन और लखनऊ की एक संस्था की ओर से आयोजित होने वाले दीपोत्सव की थीम महिला सशक्तिकरण पर आधारित थी.
जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह और पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी के सराहनीय प्रयासों से इस कार्यक्रम का सफल आयोजन माना जा रहा है. जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह ने भी कच्ची शराब के कारोबार को छोड़कर शहद और मोम के दीए बनाने वाली महिलाओं को उत्साहवर्धन किया. इस दीपावली में भगवान राम की अयोध्या में भी होने वाले दीपोत्सव में चैनपुरवा गांव के दिए रोशनी बिखेरेंगे. खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस अच्छी पहल की सराहना की है.
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