Barabanki: नेपाल के पानी छोड़ने से बाराबंकी में खतरे के निशान के ऊपर घाघरा-सरयू नदी, दर्जनों गांव टापू में तब्दील
नेपाल द्वार चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के कारण बाराबंकी में घाघरा-सरयू नदी खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. इसके प्रभाव से कई गांव टापू में बदल गए हैं.
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UP News: बाराबंकी (Barabanki) में लगातार हो रही बारिश और नेपाल द्वारा चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ने से घाघरा-सरयू नदी (Ghaghra-Sarayu River) ने विकराल रूप धारण कर लिया है. घाघरा-सरयू नदी इस वक्त खतरे के निशान 80 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. तराई क्षेत्र में में बसे दर्जनों गांवो के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित सिरौलीगौसपुर तहसील के तेलवारी और मंझाराय पुर गांव है.
लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेने मौके पर पहुंचे एडीएम राकेश कुमार सिंह ने बताया है कि 83 गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए है.,अपर जिलाधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया है कि बाढ़ के खतरे को देखते हुए एनडीआरएफ की टीम को लगाया गया है. साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पीएससी लगा दी गई है. अपर जिलाधिकारी ने कहा कि जो लोग गांव में हैं उन्हें भी गांव से निकलवाने का काम किया जा रहा है. साथ ही साथ बाढ़ राहत कैंप को एक्टिव कर दिया गया है. पशुओं के चारे की भी व्यवस्था की गई है. अभी तक किसी जनहानि की सूचना नहीं है.
टापू में बदले दर्जनों गांव
बाढ़ के पानी से दर्जनों गांव टापू में हुए तब्दील हो गए हैं, घरों तक बाढ़ का पानी पहुंचने पर बाढ़ पीड़ित गांव से पलायन कर रहे हैं. पीड़ितों का आरोप है कि उन्हें गांव से बाहर निकालने के लिए जिला प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं की है. पीड़ितों के अनुसार घर में पानी घुसने से खीने-पीने में दिक्कत हो रही है. प्रशासन द्वारा कोई इंतजाम नहीं किया गया है. इससे पीड़ितों में भारी आक्रोश है. बाढ़ पीड़ित हरीनाथ रावत ने बताया कि गांव में पानी भर गया है. उन्होंने कहा कि खाना बनाने के लिए ईंधन नहीं और जानवरों के लिए चारा भी नहीं है. हालांकि उन्होंने यह जरूर बताया कि 15 दिन पहले आई बाढ़ में प्रशासन ने 15 किलोग्राम राशन दिया था.
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