Barabanki: इस गांव में लोग लकड़ी के पुल पर सफर करने को हैं मजबूर, अभी तक नहीं बन सका पक्का पुल
यूपी के बाराबंकी के तराई क्षेत्र के सेमरी गांव में लोग लकड़ी के पुल से आते-जाते हैं. यहां अभी तक पक्का पुल नहीं बन सका हैं. वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि लकड़ी का पुल बीच बीच में टूट भी जाता है.
Barabanki News: यूपी के बाराबंकी जिले की तहसील रामसनेहीघाट में घाघरा नदी के तराई क्षेत्र के सेमरी गांव के पास जब पक्का पुल टूट गया तो लोगों को आने जाने में दिक्कतें होने लगी. गांव वालों ने 6 वर्ष पहले आपसी चंदा लगाकर लकड़ी का पुल बनवाया था. गांव के लोग इसी लकड़ी के पुल से गुजरते हैं. पहले भी कई बार ये लकड़ी का पुल टूट चुका है. पहले भी कई बार हादसे होते होते बचे हैं. लोग चंदा लगाकर इस पुल की मरम्मत करवाते हैं. लेकिन अभी भी पक्का पुल नही बन सका हैं.
लकड़ी के पुल से जान जोखिम में डालकर हर दिन सफर करते हैं लोग
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में आज भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां लोग जुगाड़ से जिंदगी जी रहे है. हम बात कर रहे हैं बाराबंकी के दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र की. जो बाराबंकी जिले में पड़ता है. यहां पक्का पुल न होने के कारण लोगों को जुगाड़ वाले लकड़ी के पुल से जान जोखिम में डालकर हर दिन सफर करना पड़ता हैं, लेकिन कोई भी बड़ा जिम्मेदार नेता, विधायक, मंत्री और यहां तक अधिकारी इसकी ओर ध्यान नहीं देता. गांव वालों की माने तो इस लकड़ी के पुल से खतरा बहुत है. कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है. 6 साल पहले जब जबरदस्त बाढ़ आई थी, तो पक्का पुल टूट कर बह गया था. इसके बाद लोगों ने आपसी सहयोग से इस लकड़ी के पुल को बनवा दिया. गांव के लोग इस पुल पर पैदल या मोटरसाइकल से निकलते हैं. इसलिए यहां हर वक्त खतरा बना रहता हैं.
चुनाव के दौरान नेताओं ने पक्का पुल बनवाने के वादे के नाम पर वोट लिए
पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान नेताओं ने पक्का पुल बनवाने के वादे के नाम पर यहां के लोगों से वोट के लिए. लेकिन अब न तो विधायक न ही सांसद और यहां तक की अधिकारी भी पुल को बनवाने को लेकर कोई विशेष सुनवाई कर रहे हैं. यहां के लोंगो का रहना है कि इस पुल से लोग काफी दिक्कत होती है. एबीपी गंगा से बातचीत के दौरान स्थानीय लोंगो ने अपनी दिक्कतें भी बताईं. लोगों का कहना है की सबसे बड़ी दिक्कत छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए है. बीमार होने पर उनके गांव तक एम्बुलेंस तक नहीं पहुंच पाती. तबीयत खराब हो जाती है, तो मोटरसाइकिल पर बैठाकर लोगों को लाना ले जाना पड़ता है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि लकड़ी का पुल बीच बीच टूट भी जाता है. हम चंदा लगाकर पुल की मरम्मत करवाते हैं. हम इस पुल से निकलने को मजबूर हैं. हमारी सायकिल भी इस लकड़ी के पुल से नही निकल पाती. हर वक्त खतरा बना रहता हैं. वहीं राहगीरों का कहना है कि 3 से 4 महीने बहुत दिक्कत रहती है. जब बाढ़ आती है तो परेशानी और बढ़ जाती है.
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