Barabanki News: बाराबंकी में देवा महोत्सव की शुरुआत, हिन्दू-मुस्लिम एकता की दिखती है अनूठी मिसाल
UP News: बाराबंकी में हिन्दू-मुस्लिम एकता का महोत्सव देवा शरीफ में मनाया जाता है जिस महोत्सव में यूपी के ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने से जायरीनों का जनसैलाब बाराबंकी के देवा शरीफ में जुटता है
Barabanki News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बाराबंकी (Barabanki) में देवा महोत्सव की शुरुआत गुरुवार से हो गई है. हिन्दू-मुस्लिम एकता का महोत्सव देवा शरीफ में मनाया जाता है जिस महोत्सव में यूपी के ही नहीं बल्कि कई प्रदेश और देश के कोने-कोने से जायरीनों का जनसैलाब बाराबंकी के देवा शरीफ में जुटता है. चाहे अलीगढ़ के ताले हो या फिर बरेली का सूरमा, फिरोजाबाद की कांच की चूड़ियां हो या फिर आगरा का पेठा. यहां पर हर चीज मिलती है. दस दिन तक प्रशासन की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता हैं.
हर साल अक्टूबर में मनाया जाता है महोत्सव
दिन रात चलने वाले इस देवा महोत्सव में आपको हर वो प्रसिद्ध चीजें मिलेगी जो आपके लिए जरूरतमंद होंगी. हर साल अक्टूबर महीने में देवा महोत्सव होता हैं. दरअसल देवा शरीफ के सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर उनके मानने वाले सभी धर्मों के लोग आते हैं. उनका उपदेश था जो रब है वही राम है. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के देहांत की वजह से 3 दिन राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था जिसकी वजह से 11 अक्टूबर से शुरू होने वाला देवा मेला 13 अक्टूबर से शुरू हो रहा हैं. परंपरा के अनुसार इस मेले का उद्घाटन जिलाधिकारी की धर्मपत्नी द्वारा किया जाता हैं. जिलाधिकारी अविनाश कुमार सिंह की धर्म पत्नी फीता काटकर राशूल गेट पर इसकी शुरुआत करेंगी.
करीबन दस दिन तक चलता है मेला
देवा मेला वैसे साल में एक बार करीबन दस दिन तक चलता है लेकिन देवा की पावन पवित्र धरती पर देश और विदेश की जानी मानी हस्तियां माथा टेकती है. देवा मेले में इस बार बरसात की वजह से देवा मेला मैदान में जगह-जगह जल भराव हैं जिसको निकलने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा हैं. उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग द्वारा अस्थाई बस स्टेशन बनाया गया है लेकिन मैदान में जल भराव होने की वजह से साफ सफाई करवाई जा रही है.
बाराबंकी के देवा शरीफ में सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह है जहां कौमी एकता की एक अनूठी मिसाल यहां देखने को मिलती है. हाजी वारिस अली शाह ने समाज को एक संदेश दिया था. जिसके बाद हिन्दू और मुस्लिम लोगों के साथ-साथ सिख और ईसाई लोगों को भी इस संदेश ने खूब प्रभावित किया. उन्होंने कहा था कि जो रब है, वही राम है और वो हमेशा हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर देते हैं और अपना संदेश भी लोगों तक पहुंचाते रहे जिससे उनका ये संदेश कौमी एकता की मिसाल बन गया. जहां आज भी लोग यहां आने के बाद हिन्दू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल देखने को मिलती हैं.
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