Barabanki News: बाराबंकी (Barabanki) में बहने वाली घाघरा नदी (Ghaghra River) में नेपाल द्वारा छोड़े गए लाखों क्यूसेक पानी की वजह से इस साल का रिकॉर्ड टूट गया है क्योंकि इस पानी ने जिले के लगभग् 65 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है. अगर जलस्तर ऐसे ही बढ़ता रहा तो घाघरा नदी के बीच से गुजरने वाली रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों के आवागमन पर भी इसका असर पड़ सकता है. फिलहाल घाघरा नदी खतरे के निशान से 57 सेमी ऊपर है जिसकी वजह से तराई में रहने वाले लोगों को मुश्किल भरी जिंदगी गुजारनी पड़ रही हैं.
घाघरा नदी ने मचाई तबाही
रामनगर के कोरिन पुरवा गांव के लोगों ने बताया कि घाघरा नदी 2 किलोमीटर दूर थी. जो कि कटान से उनके गांव के करीब पहुंच गयी है. अब गांव में पानी प्रवेश कर रहा हैं तो लोग घरों से निकलकर रास्ते पर आ गए हैं और धीरे धीरे ऊंचे स्थान की ओर पलायन कर रहे हैं. नेपाल से घाघरा नदी में छोड़े गए पानी की वजह से तराई में तबाही शुरू हो गई है, सरयू नदी में आए पानी की वजह से लगभग 65 गांव में पानी भर गया है और करीब दो दर्जन से ज्यादा गांव नदी के निशाने पर हैं जिसकी वजह से तराई क्षेत्र में हाहाकार मचा हुआ है.
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नदी का जलस्तर इस वक्त खतरे के निशान से 57 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है और लगातार सरयू नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है जिसकी वजह से घाघरा नदी के आसपास बसे गांव वालों के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन की ओर से अलर्ट जारी किया गया है. वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की ओर से कोई भी मदद उन्हें नहीं पहुंचाई जा रही है. बाराबंकी की 3 तहसीलें रामनगर, सिरौलीगौसपुर और रामसनेहीघाट तहसील इन दिनों बाढ़ से काफी प्रभावित है.
लोगों में बनी हुई है दहशत
रामनगर के कोरिन पुरवा गांव की बात करें तो यहां भी लोगों में काफी दहशत का माहौल है. कोरिन पुरवा गांव बाढ़ के पानी से पूरी तरह गिर गया है और यहां के लोग अब पलायन करने को मजबूर हैं. गांव वालों ने बताया कि लगातार हो रही कटान के चलते अब घाघरा नदी उनके गांव के पास में पहुंच गई है जिसकी वजह से उनकी खेती भी पानी में पूरी तरह से डूबी हुई है. खाने-पीने के लाले पड़ रहे हैं. सिर्फ एक मात्र मजदूरी ही सहारा बचा हुआ है ऐसे में इन दिनों मजदूरी भी करने के लिए बाहर नहीं जा पा रहे हैं.सरयू नदी से हुई तबाही से बाराबंकी में हर कोई परेशान है. साथ ही रेलवे लाइन और ट्रेनों के आवागमन पर भी खतरा मंडराने लगा है. घाघरा नदी का जलस्तर अगर इसी तरह बढ़ता रहा तो कहीं ना कहीं ट्रेनों के आवागमन पर भी असर पड़ेगा.
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