बाराबंकी. उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में बाराबंकी पुलिस रविवार को डॉ. अलका राय से एंबुलेंस प्रकरण में पूछताछ करने के लिए पहुंची. बाराबंकी पुलिस डॉ. अलका राय से करीब 2 घंटे तक लगातार एक बंद कमरे में पूछताछ करती रही. पूछताछ करने वाली पांच सदस्यीय टीम में दो महिला पुलिस सिपाही भी थी. इस पूछताछ में मऊ जनपद की कोतवाली पुलिस के कोतवाल डीके श्रीवास्तव भी पूछताछ में मौजूद रहे. बाराबंकी पुलिस ने उनके निजी अस्पताल श्याम संजीवनी अस्पताल में ही पूछताछ की. पूछताछ के बाद बाराबंकी पुलिस वापस चली गई.


2 घंटे चली पूछताछ के बाद जब बाराबंकी पुलिस के इंस्पेक्टर मारकंडेय सिंह बाहर निकले तो उनसे मीडिया ने बात करने की कोशिश की. पहले उन्होंने मना कर दिया, लेकिन मीडिया के लगातार सवालों के बाद सिर्फ इतना ही बोल पाए कि अभी मामले की जांच चल रही है. जांच के बाद जो बातें सामने आएंगी उनको बताया जाएगा.


क्या बोली डॉ. अलका राय?
वहीं, इस मामले में अलका राय ने कहा कि यह मेरे विरोधियों की साजिश और मुझे फंसाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बाराबंकी पुलिस ने बहुत सारे सवालों की पूछताछ की जिसमें प्रमुख रुप से वोटर आईडी कार्ड पर एंबुलेंस जारी हुआ था. अलका राय ने कहा कि मुझे न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और मुझे न्याय मिलेगा.


गौरतलब है कि पंजाब की रोपड़ जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को मोहाली की अदालत में पेश करने के लिए जिस एंबुलेंस का प्रयोग किया गया था वह बाराबंकी जनपद में पंजीकृत है. यह एंबुलेंस रफी नगर निवासी डॉक्टर अलका राय के नाम पंजीकृत मिली थी. शासन की सख्ती के बाद संभागीय परिवहन विभाग ने अलका के पंजीकरण की फाइल खंगाली तो पाया गया कि डॉक्टर अलका राय ने बाराबंकी के रफी नगर निवासी होने का वोटर आईडी लगाकर पंजीकरण कराया था.


इस पर परिवहन कार्यालय ने तहसील प्रशासन से जांच कराई तो वोटर आईडी फर्जी होने की जानकारी मिली. इस पर एआरटीओ पंकज सिंह ने शुक्रवार को शहर कोतवाली में मऊ जिले के भीटी इलाके की मूल निवासी अलका राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.


ये भी पढ़ें:



मुख्तार अंसारी की कस्टडी को लेकर पंजाब सरकार ने यूपी सरकार को लिखी चिट्ठी, कही ये बात


बांदा जेल में इंतजाम से असंतुष्ट हैं बड़े अफसर, मुख्तार अंसारी को दूसरी जेल में रखने की कर सकते हैं सिफारिश