बाराबंकी. यूपी पुलिस एक बार फिर दागदार हुई है. बाराबंकी पुलिस ने एक व्यापारी का अपहरण कर उसे अवैध ड्रग्स में फंसाकर जेल भेजने की धमकी दे उससे तीन लाख रुपये ले कर छोड़ दिया. लेकिन पीड़ित चुपचाप नहीं बैठा. इसकी शिकायत व्यापारी ने पुलिस के उच्च अधिकारियों सहित जब यहां के सांसद उपेंद्र सिंह रावत और यहां के विधायकों से की तो पुलिस के बड़े अधिकारी हरकत में आये. आनन फानन में आरोपी सिपाहियों से 3 लाख रुपये वापस कर दिए और उसके बाद चार आरोपी सिपाहियों को एसपी डॉ अरविंद चतुर्वेदी ने निलंबित करते हुए पूरे मामले की जांच बैठा दी. लेकिन पुलिस अब जांच के नाम पर मामले को ठंडा कर रही है. वहीं, भाजपा सांसद ने कहा कि भ्रष्टाचार में संलिप्त लोग सलाखों के पीछे होंगे.


ड्रग्स की तस्करी के लिये बदनाम है बाराबंकी


उत्तर प्रदेश का बाराबंकी जिला अवैध मार्फीन और ड्रग्स के लिए बहुत पहले से ही काफी बदनाम रहा है और इस जनपद की पहचान न सिर्फ मार्फीन तस्करी और ड्रग्स के लिए उत्तर प्रदेश में जाना जाता है बल्कि जनपद से इस अवैध कारोबार में देश-विदेश के भी तस्कर के तार जुड़े हैं. ऐसे सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं, जब बाराबंकी जनपद से करोड़ों की मार्फीन तस्करी में देश विदेश के बड़े बड़े तस्करी करने वाले पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं.


व्यापारी से ले ली फिरौती


लेकिन उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में यूपी पुलिस का एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है. अब बाराबंकी पुलिस पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं. दरअसल बाराबंकी पुलिस ने अवैध ड्रग्स में एक युवक को फंसाने के नाम पर 3 लाख 8 हजार रुपये बतौर फिरौती ले लिए. यूपी पुलिस का ये चौंका देने वाला मामला जब यहां के सांसद उपेंद्र सिंह रावत, विधायक सतीश शर्मा, विधायक शरद अवस्थी के सामने आया तो पुलिस वालों को बेगुनाह को अवैध ड्रग्स में फ़ंसाने के नाम पर लिए गए 3 लाख 8 हजार रुपये पीड़ित को वापिस करने पड़े. ये पैसे पुलिस के जिम्मेदार अधिकारियों ने वापस करवाये हैं. जिसके बाद अब पुलिस के आलाधिकारियों की फजीहत हो रही है. क्योंकि पुलिस के ये आरोपी वो सिपाही हैं जो अलग-अलग थानों में तैनात थे और इस अवैध धंधे को चला रहे थे.


इस तरह फंसाया व्यापारी को


पीड़ित का कहना है कि उसे जमीन दिखाने के बहाने सादी वर्दी में पुलिस कर्मी दो गाड़ियों से आये और उसका अपहरण कर बाराबंकी के थाना कोठी क्षेत्र के एक प्राइवेट मकान में ले गये. जहां उन लोगों ने उसके जेब में रखे 8 हजार रुपये की बियर मंगवाई और पुलिस वालों ने खुद पी और जबरन उसे भी पिलाई. इसके बाद पुलिस वालों का शुरू हुआ फिरौती मांगने का खेल. जिसके बाद पीड़ित राहुल को अपने रिश्तेदार और घर से 3 लाख रुपये पुलिस वालों को देकर खुद को जेल जाने से बचना पड़ा.


पीड़ित राहुल का कहना है कि 10 लाख के बाद 5 लाख रुपये की डिमांड थी इतने पैसे थे नहीं, अंत में 3 लाख रुपये देकर पुलिस वालों से वो बच सका. पीड़ित राहुल एक छोटे व्यापारी हैं, जो गिट्टी मौरंग का काम करते हैं. उनके अनुसार ये पैसे बकायदा थानाध्यक्ष कोठी शैलेश यादव के सामने लिए गए. क्योंकि रात को उसे कमरे से हटाकर थाने के लॉकअप में डाल दिया और जब पैसे मिल गए तो पुलिस वालो ने उसे थाने से छोड़ दिया.


शिकायत के बाद हरकत में आये आला अधिकारी


जिसके बाद पीड़ित ने इसकी शिकायत फैजाबाद और लखनऊ बड़े पुलिस अफसर को ट्वीट कर पूरी घटना बताई तो बाराबंकी के पुलिस अधिकारी हरकत में आये और यहां के सांसद विधायकों के हस्तक्षेप के बाद आरोपी सिपाहियों ने पीड़ित के पैसे वापिस किये. मामले का खुलासा होने के बाद जब पुलिस की फजीहत होने लगी तो पुलिस अधीक्षक डॉ अरविंद चतुर्वेदी ने प्रारंभिक जांच में ही 4 सिपाहियों जमाल अशरफ, पुलिस लाइन में तैनात सिपाही आशीष व अमित, सहित कोठी थाने में तैनात सिपाही नीलेश सिंह को निलंबित कर दिया गया है. इसकी जांच सीओ रामसनेहीघाट पंकज सिंह को सौंपी है जो पुलिस के बड़े जिम्मेदार अधिकारी को बचा रहे हैं, क्योंकि पैसे का लेनदेन थानाध्यक्ष के सामने पीड़ित ने बताया है.


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