Uttar Pradesh News: यूपी के बाराबंकी (Barabanki) जिले में प्राइमरी और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के पास अभी भी स्कूली की ड्रेस, स्वेटर और जूता-मोजा नहीं है. इस वजह से बच्चे बिना ड्रेस, जूते-मोजे और स्वेटर के स्कूल जाने को मजबूर हैं. तमाम स्कूली बच्चों से बातचीत के दौरान पता चला कि बच्चों के अभिभावकों के खातों में इस वर्ष ही नहीं पिछले वर्ष भी विभाग (UP Education Department) द्वारा पैसे नहीं भेजे गए. वहीं कई अभिभावकों के खातों में गड़बड़ी होने की वजह से भी ड्रेस और जूते-मोजे के अलावा स्वेटर का पैसा नहीं पहुंच पा रहा है.
त्रिवेदीगंज के उच्च प्राथमिक विद्यालय नेवाजगंज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं से जब बात की गई तो यहां क्लास 6 से लेकर क्लास 8 तक पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के पास ड्रेस, जूते-मोजे और स्वेटर नहीं थे. हालांकि कुछ बच्चों के पास पिछले वर्ष की ड्रेस और स्वेटर उपलब्ध थी. वहीं कुछ बच्चों के अभिभावकों के खातों में पैसे पहुंच गए हैं जिसकी वजह से उनके पास ड्रेस और स्वेटर उपलब्ध हो गए हैं. बात अगर बच्चों के पढ़ाई की करें तो बच्चों को जनरल नालेज का ज्ञान भी नहीं है. बता दें कि इस स्कूल में आधा दर्जन से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाएं बच्चों को शिक्षा देने में लगाई गईं हैं. रेगुलर स्कूल न आने से बच्चे पढ़ने में कमजोर हैं.
प्रिंसिपल ने क्या बताया
स्कूल के प्रधानाध्यापक विजय बहादुर वर्मा ने बताया कि तमाम ऐसे बच्चों के अभिभावक हैं जो ड्रेस और स्वेटर के पैसों से किसी ने खेत में खाद डाल दिया तो किसी ने शराब पी ली. सरकार हमेशा लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाती है लेकिन बच्चों के अभिभावकों की कमी के चलते बच्चों की शिक्षा व्यवस्था सुधर नहीं पा रही है. स्कूल की ओर से प्रयास किया जाता है लेकिन अभिभावक बच्चों को रेगुलर स्कूल नहीं भेजते हैं. बच्चों के अभिभावक के खातों में जल्द ही दूसरी किश्त पहुंच जाएगी. प्रधानाध्यापक ने कहा कि ग्रामीण देहात क्षेत्र में मजदूरों और किसानों के बच्चे होते हैं जो रेगुलर स्कूल नहीं आते हैं. उन्हें स्कूल की तरफ से बताया जाता है लेकिन रेगुलर नहीं आने से उन्हें जानकारी नहीं हो पाती है.
अधिकारी ने क्या कहा
वहीं बाराबंकी के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष देव पांडेय ने बातचीत के दौरान कहा कि, प्रदेश में बाराबंकी जनपद पांचवे स्थान पर है. उन्होंने कहा जल्द ही ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम से बच्चों के अभिभावकों के खातों में पैसा भेजा जा रहा है. जनपद अच्छा काम कर रहा हैं. ग्राम प्रधान और स्कूलों की ओर से जागरूक करते हुए उन्हें प्रेरित किया जाता है कि बच्चों के ड्रेस और स्वेटर के पैसे से उनके ड्रेस, स्वेटर और जूते-मोजे ही खरीदें.
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