Barabanki Flood News: पहाड़ों पर शुरू हुई बरसात का असर यूपी के बाराबंकी (Barabanki News) में घाघरा सरयू नदी (Saryu River) पर दिखना शुरू हो गया है. जिसके बाद नदी के आसपास तराई क्षेत्रों में दहशत का माहौल है. बाराबंकी जनपद की रामनगर, सिरौलीगौसपुर और रामसनेघाट तहसील के हजारों गांव घाघरा नदी (Ghaghara River) में हर साल आने वाली बाढ़ से प्रभावित होते हैं इस साल भी घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया है जिससे लोगों की चिंताएं काफी बढ़ गयी है. पहाड़ों पर हो रही बारिश की वजह से नदी का पानी खतरे के निशान के पास पहुंच गया है.
बाराबंकी में मंडराया बाढ़ का खतरा
दरअसल बाराबंकी में हर साल ये तबाही उन हजारों परिवारों को झेलनी पड़ती है जो परिवार घाघरा नदी की तराई क्षेत्रों में बसे हैं. बाढ़ से निपटने के लिए सरकार करोडों रुपये पानी की तरह खर्च करती है लेकिन ये रकम हर साल बाढ़ के साथ ही बह जाती हैं. बाढ़ की समस्या की बात करें तो ये मुसीबत पिछले डेढ़ दशकों से इन परिवारों को झेलनी पड़ रही है लेकिन इसका कोई स्थायी समाधान नही निकल पाया है. इतना ही नही जब बाढ़ आती है तो लोगों की हजारों बीघा धान गन्ना और अन्य फसलों को नुकसान होता है
खतरे के निशान तक पहुंचा नदी का जलस्तर
दूसरी तरफ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में छोटे बच्चों की पढ़ाई भी काफी प्रभावित होती है. इस साल भी घाघरा नदी धीरे धीरे बढ़ना शुरू हो गयी है और लोगों की मुश्किलें बढ़ रही है. लोगों ने तराई क्षेत्रों से निकल ऊंचे स्थानों की ओर पलायन करना शुरू कर दिया है. एबीपी गंगा संवाददाता सतीश कश्यप जब बाढ़ से प्रभावित तहसीलों के गांवों की जमीनी हकीकत जानने जब पहुँचे तो लोगों ने अपनी समस्या बताई. रामनगर तहसील के संजय सेतु पुल के पास की तस्वीरें डरावनी थी.
बाढ़ ने बढ़ाई लोगों की चिंता
घाघरा सरयू नदी बहराइच ,गोंडा और बाराबंकी जनपद की सीमाओं से गुजरती है जिसके चलते बाढ़ से तमाम ऐसे पीड़ित लोग बहराइच से बाराबंकी जनपद की सीमा में आकर बसे हैं वहीं कुछ लोग बाराबंकी से गोंडा की सीमा में तो कुछ लोग गोंडा से बाराबंकी में जाकर शरण लेते हैं. बाढ़ पीड़ितों की मांग हैं कि उन्हें स्थायी किया जाए सरकार बाढ़ प्रभावित लोगों को घर दे ताकि उन्हें यहां से वहां भटकना न पड़े.
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