UP News: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले (Barabanki District) से ऐसे कई स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighters) रहे हैं जिन्होंने देश को आजादी दिलाने में न सिर्फ अपनी कुर्बानी दी है बल्कि जेल भी गए हैं और जुर्माना भी भरा है. आजादी से पहले बाराबंकी के दरियाबाद में सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) का एक प्रशिक्षण हुआ था और खुद दो बार महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने बाराबंकी का दौरा किया था. क्रांति की लौ ऐसी जली कि आज जिले का हरख क्षेत्र क्रांतिकारियों के नाम से जाना जाता है. हरख से सैकड़ों लोगों ने अंग्रेजों से लोहा लिया था. उनमें से 18  सेनानियों को अंग्रेजी हुकूमत के दौरान जेल जाना पड़ा था.


आजादी के बाद किए गए थे सम्मानित


इन क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी अफसर को जूतों की माला पहनाई थी. शिव नारायण ,रामचंदर, श्रीकृष्ण राम, राम मक्का लाल, सर्वजीत सिंह,रामचंद्र रामेश्वर, कामता प्रसाद सर्वजीत, कल्लूदास, कालीचरण, द्वारिका प्रसाद मास्टर का नाम उन 18 स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल हैं. इंदिरा गांधी सरकार में उन्हें ताम्र पत्र से सम्मानित किया था. स्वतंत्रता सेनानी रामचंद्र के बेटे उपेंद्र ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके पिता अंग्रेजों के समय में आजादी के लिए जेल गए थे. 


जूतों की माला पहनाने की यह थी कहानी


जानकारी के अनुसार हार्डी नाम के अंग्रेज अफसर को गांव वालों ने स्वागत के लिए बुलाया. फिर उनलोगों ने अवधी भाषा में एक नाटक खेला. फिर गांव वालों ने उस अंग्रेज अफसर को जूतों की माला पहना दी. अंग्रेज अफसर अवधी भाषा से अनजान था लिहाजा उसे जूतों की माला पहनाने की जब  असलियत मालूम हुई तो उसने अंग्रेजी पुलिस को बुलाकर गांव में तांडव करवाया, लोगों के घरों में रखे अनाज को कुएं में फेंक दिया गया, जानवर खुलवा दिए और इतना ही नहीं कुएं भी पेशाब भी कराई गई ताकि कोई पानी न पी सके.  सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप सारंग ने बताया इस घटना में अंग्रेजी अफसर ने 18 लोगों के खिलाफ नामजद करवा उन्हें जेल भिजवाया था, उनपर जुर्माना लगाया गया था. 


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जुर्माने की रकम से बना था अस्पताल


बाद में जब देश आजाद हुआ तो जुर्माने की पांच हजार रुपये की रकम वापिस हुई. उस रकम से हरख में अस्पताल बनाया गया जो आज भी मौजूद है. एबीपी गंगा ने  जब हरख के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे बाबू पुत्तुलाल वर्मा की समाधि स्थल का हाल देखा तो जंगल झाड़ियों के बीच खंडहर में तब्दील होती दिखी. बाबू पुत्तुलाल वर्मा आजादी के बाद एमएलसी बने थे. वहीं गांव के प्रधान पति निधि चट्टान सिंह का कहना है जो भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए उनकी यादव में वह अमृत सरोवर बना रहे है.


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